Friday, February 10, 2012
सुरीलापन चुनता है मुझे
सुरीलापन चुनता है मुझे
महमूद दरवेश
सुरीलापन चुनता है मुझे, फांस डाल देता है मेरे भीतर
मैं वायोलिन का बारम्बार बहाव हूं, और उसे बजाने वाला नहीं
मैं स्मृति की उपस्थिति हूं
चीज़ों की अनुगूंज मेरे माध्यम से उच्चारण करती है
तब मैं करता हूं उच्चारण ...
जब भी सुनता हूं पत्थर को मुझे सुनाई देती है
एक सफ़ेद कबूतर की गुटरगूं:
मेरे भाई! मैं तुम्हारी छोटी बहन हूं,
सो मैं वाणी के आंसुओं में रोता हूं उसका नाम
और जब भी बादलों के रास्ते पर
मैं देखता हूं ज़न्ज़लख़्त का तना
मुझे सुनाई देता है एक माता का हृदय
धड़कता हुआ मुझ में:
मैं एक तलाक़शुदा औरत हूं
सो मैं श्राप देता हूं उसके नाम पर झींगुर अन्धेरे को
और जब भी मुझे दिखाई देती है चन्द्रमा पर एक स्त्री
मुझे प्रेम दीखता है
मुझे घूरता एक शैतान:
मैं अब भी यहीं हूं
लेकिन तुम नहीं लौटोगे जैसे तुम मेरे छोड़ कर जाते समय थे
तुम नहीं लौटोगे, और मैं नहीं लौटूंगा
सुरीलापन पूरा करता है अपना चक्र
और फांस डाल देता है मेरे भीतर ...

bahut hi sundar bhaw wyanjana.
ReplyDeleteprasad gunyukt rachana.
BEAUTIFUL
bahut hi sundar bhaw wyanjana.
ReplyDeleteprasad gunyukt rachana.
BEAUTIFUL