कबाड़खाना

Saturday, February 18, 2012

मौरीसियो लीमा - साल २०१० का फोटोग्राफर ऑफ़ द ईयर - ३

मौरीसियो लीमा के अफगानिस्तान के फोटोग्राफों की आख़िरी खेप-

खंडहरों में क्रिकेट का खेल

रोजी के लिए

तीन से दस साल के बच्चे अमरीकी सेनाओं के लिए ३ से ७ डॉलर प्रति सप्ताह की मजदूरी पर गड्ढे खोदने और दीवारें बनाने के काम में लगे रहते हैं.

मालिक के आदेश सुनना ज़रूरी है भाई!

पोर्ट्रेट २

बाल श्रमिक

अफगान पुलिस के दो सिपाही
Posted by Ashok Pande at 8:00 PM
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Labels: अफगानिस्तान, मौरीसियो लीमा

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Live as if you were living already for the second time and as if you had acted the first time as wrongly as you are about to act now!


-Viktor Frankl in Man’s Search for Meaning

कबाड़खाने में हिट

  • एक नखलऊ ऐसा भी - अनिल यादव का संस्मरण
    बहुत दिनों बाद कबाड़ी अनिल यादव का कुछ कबाड़खाने में पोस्ट करते हुए मुझे बहुत अच्छा लग रहा है - रात्रिचर -अनिल यादव नखलऊ में...
  • मैं घास हूँ
    सरदार भगत सिंह और पाश, दोनों आज हॊ के दिन शहीद हुए थे. कविता शहीद अवतार सिंह पाश की है. मैं घास हूँ मैं आपके हर किए-धरे पर उग आऊंगा बम फेंक ...
  • वसंत आ गया है।
    जिस स्थान पर बैठकर लिख रहा हूँ, उसके आस-पास कुछ थोड़े से पेड़ हैं। एक शिरीष है, जिस पर लम्बी-लम्बी सूखी छिम्मियाँ अभी लटकी हुई हैं। पत्ते कु...
  • 'दिल्ली शहर तें पिशौर नुं जांदिए' उर्फ 'लुच्चों का गीत'
    हिन्दी पढ़ने - पढ़ाने वालों की एक अलग दुनिया है जो इसी दुनिया में होते हुए भी अलग - सी है - बहुत कुछ एक बंद दुनिया की तरह . यहाँ संकेत हिन्दी ...
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    कल आठ दिसंबर 2015 को रमाशंकर यादव विद्रोही ने अपनी अंतिम सांस ली. नकली कविता के आज के दौर में दुर्लभ असल कविता लिखने वाले इस कवि को उसकी ब...
  • एक बार की बात, चंद्रमा बोला अपनी माँ से
    एक बार की बात, चंद्रमा बोला अपनी माँ से। कुर्ता एक नाप का मेरी, माँ मुझको सिलवा दे। नंगे तन बारहों मास मैं, यों ही घूमा करता। गरमी, वर...
  • काहे करत मो से रार कन्हैया
    पंडित वेंकटेश कुमार गा रहे हैं राग सोहनी में एक कम्पोज़ीशन -
  • वह जन मारे नहीं मरेगा नहीं मरेगा
    आज महान हिंदी कवि स्व. केदारनाथ अग्रवाल (१ अप्रैल, १९११ - २२ जून २०००) की जन्मशताब्दी है. इस अवसर पर उन्हें याद करते हुए कबाडखाना उनकी ए...
  • मेरे हमनफस मेरे हमनवा मुझे दोस्त बन के दगा न दे
    आवाज़ बेगम अख्तर की, गज़ल की शकील बदायूँनी साहब की- मेरे हमनफस, मेरे हमनवा, मुझे दोस्त बनके दगा न दे, मैं हूँ दर्द-ए-इश्क स...
  • जरा हलके गाड़ी हांको मेरे राम गाड़ी वाले
    प्रह्लादसिंह टिपाणिया एवम उनके साथी सुना रहे हैं कबीरदास जी एक विख्यात भजन.   जरा हलके गाड़ी हांको मेरे राम गाड़ी वाले ज...

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पेप्पोर रद्दी पेप्पोर

पहर अभी बीता ही है
पर चौंधा मार रही है धूप
खड़े खड़े कुम्हला रहे हैं सजीले अशोक के पेड़
उरूज पर आ पहुंचा है बैसाख
सुन पड़ती है सड़क से
किसी बच्चा कबाड़ी की संगीतमय पुकार
गोया एक फ़रियाद है अज़ान सी
एक फ़रियाद है एक फ़रियाद
कुछ थोड़ा और भरती मुझे
अवसाद और अकेलेपन से

-
वीरेन डंगवाल

दुनिया में काम करने के लिए आदमी को अपने ही भीतर मरना पड़ता है. आदमी इस दुनिया में सिर्फ़ ख़ुश होने नहीं आया है. वह ऐसे ही ईमानदार बनने को भी नहीं आया है. वह पूरी मानवता के लिए महान चीज़ें बनाने के लिए आया है. वह उदारता प्राप्त करने को आया है. वह उस बेहूदगी को पार करने आया है जिस में ज़्यादातर लोगों का अस्तित्व घिसटता रहता है.

- (
विन्सेन्ट वान गॉग की जीवनी 'लस्ट फ़ॉर लाइफ़' से)

दोस्तों की जमात

  • NewsWriters.in | पत्रकारिता-जनसंचार|Hindi journalism india
    Is Your Data Safe? Growing Fears That AI Platforms Are Mining Private Information: Google Faces Lawsuit Over Alleged Secret Monitoring - A new class-action lawsuit accuses Google of illegally intercepting users’ private communications through its AI assistant Gemini, allegedly enabling cover...
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'पहल' की दूसरी पारी

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जलसा - साहित्य और विचार का अनियतकालीन आयोजन, चौथा अंक आ गया है.

जलसा - साहित्य और विचार का अनियतकालीन आयोजन, चौथा  अंक आ गया है.
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