ब्रिटेन में जन्मी अमेरिकी कवयित्री डेनिस लेवेर्तोव (१९२३-१९९७) की एक कविता पेश है –
आदम की शिकायत
कुछ लोग
चाहे आप उन्हें सब कुछ दे दें
तब भी इच्छा करते हैं चंद्रमा की
डबलरोटी
नमक
लाल और सफ़ेद दोनों तरह का मांस
भूख तब भी
शादी का पलंग
और पालना
बाहें तब भी खाली
आप उन्हें ज़मीन दे दें
उनके पैरों के नीचे उनकी अपनी धरती
वे तब भी निकल पड़ते हैं यात्रा पर
और पानी – आप खोद दें उनके लिए सब से गहरा कुआं
लेकिन तब वह उतना गहरा नहीं होता
कि उसमें से चंद्रमा को पिया जा सके.

मानुषी की असीमित इच्छाओं पर एक सुंदर कविता !
ReplyDeleteमानुषी की असीमित इच्छाओं पर एक सुंदर कविता !
ReplyDeleteसचमुच हमारी इच्छाएं अनंत हैं।
ReplyDeleteआप द्वारा पोस्ट की गई यह प्यारी सी कविता आपको ही समर्पित है अशोक भाई।
ReplyDeleteबहुत अच्छी कविता...इच्छाएं कभी खत्म नही होती.....
ReplyDeleteशायद इन्हीं इच्छाओं से जीवन चल रहा है. बहुत अच्छी कविता है.
ReplyDeleteयह हम सब के साथ है.
ReplyDeletekavitaa ko padh kar samazh nahi paaya ki positive tone hai ya negative.
ReplyDeletesheershak padh kar aadam aur havva ke baare me sochne laga.
comments ko padh kar lagaa ,positivenote hai kavitaa ka.
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confusion yathaavat hai !!