माए नी माए मेरे गीतां दे नैणा विच बिरहों दी रड़क पवे
शिव बटालवी की विख्यात रचना जगजीत सिंह की आवाज़ में. रिकॉर्डिंग बी बी सी के लिए की गयी थी. वीडियो लिंक उपलब्ध कराने के लिए प्यारे दोस्त सानी जुबैर का शुक्रिया -
क्या ग़ज़ब का अंदाज़ है. आवाज़ में जो एक रहस्यमयी तिश्ननी थी जगजीतजी के वह ठेठ से थी. ये वीडियो इस बात की पावती भी देता है कि किसी भी फ़नक़ार में प्रतिभा की आँच तो शुरु से ही दिखने लगती है.
क्या ग़ज़ब का अंदाज़ है. आवाज़ में जो एक रहस्यमयी तिश्ननी थी जगजीतजी के वह ठेठ से थी. ये वीडियो इस बात की पावती भी देता है कि किसी भी फ़नक़ार में प्रतिभा की आँच तो शुरु से ही दिखने लगती है.
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ReplyDeleteWriter Khuswant Singh once commented,“He sings better than Mehdi Hassan and looks better than Dilip Kumar.”
ReplyDeleteLove you and Miss you Always; Gazaljeet