Wednesday, May 30, 2012
तो क्या हम मान लें कि कत्ल करना मजेदार काम है?
मसला
-वीरेन डंगवाल
बेईमान सजे-बजे हैं
तो क्या हम मान लें कि
बेईमानी भी एक सजावट है?
कातिल मजे में हैं
तो क्या हम मान लें कि कत्ल करना मजेदार काम है?
मसला मनुष्य का है
इसलिए हम तो हरगिज नहीं मानेंगे
कि मसले जाने के लिए ही
बना है मनुष्य.
1 comment:
Unknown
May 31, 2012 at 12:14 AM
इस जिद को सलाम।
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इस जिद को सलाम।
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