Saturday, June 15, 2013
मूरख मैली कीन्ही चदरिया
मुख्तियार अली की आवाज़ में कबीरदास जी की यह रचना एक बार पुनः पेश है -
2 comments:
अनूप शुक्ल
June 16, 2013 at 9:02 AM
सुबह-सुबह इसे सुनकर अच्छा लगा।
सुनवाने के लिये आभार!
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प्रवीण पाण्डेय
June 16, 2013 at 3:38 PM
सुनकर आनन्द आ गया।
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सुबह-सुबह इसे सुनकर अच्छा लगा।
ReplyDeleteसुनवाने के लिये आभार!
सुनकर आनन्द आ गया।
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