Saturday, June 15, 2013

मूरख मैली कीन्ही चदरिया


मुख्तियार अली की आवाज़ में कबीरदास जी की यह रचना एक बार पुनः पेश है -

2 comments:

  1. सुबह-सुबह इसे सुनकर अच्छा लगा।
    सुनवाने के लिये आभार!

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