Friday, August 30, 2013
तुम इक गोरखधन्धा हो
लम्बे अरसे से मुझे बाबा नुसरत की गाई इस क़व्वाली का पूरा संस्करण नहीं मिल पा रहा था. मुराद पूरी होते ही आपके सामने रखने का मन हुआ. आधे घंटे की तयशुदा मस्ती की गारंटी –
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तुम इक गोरखधन्धा हो
1 comment:
सुशील कुमार जोशी
August 30, 2013 at 8:21 PM
आभार !
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आभार !
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