Saturday, October 12, 2013

मैं कौन सा ताल में गा रहा था

भाई संजय पटेल कमाल के कबाड़ी हैं. संगीत का ज्ञान और उससे जुड़ी अंतहीन स्मृतियों का भंडार अपने भीतर समेटे हुए. आज उन्होंने फेसबुक पर अपना एक संस्मरण पोस्ट किया. उनसे अनुरोध किया गया तो वे सहर्ष इसे यहाँ कबाड़खाने पर लगाने को राजी हो गए.

बढिया क़िस्सा है -

दादामुनि के साथ अतियुवा संजय पटेल

सन 80 के पहले की बात रही होगी. हमारे पारिवारिक मित्र हिंगोरानी परिवार की श्रीमती निर्मल की कार हमारे घर के सामने रूकी. बोलीं संजय क्या कर रहा है. रविवार का दिन था,मैंने कहा कुछ नहीं बस यूँ ही फ़ुरसत में हूँ.... बोलीं बैठ गाड़ी में अभी आते हैं. अपनी फ़ियाट में बैठा लिया, मैंने पूछा कहाँ चलना है और काम क्या है तो कहने लगीं किसी के साथ तबला बजाना है. उन दिनों तबला बजाने का जुनून ख़ासा जोश मार रहा था और मैं श्री हिंगोरानी के निवास पर प्रत्येक गुरूवार को होने वाले सत्य साई बाबा के भजन में तबला बजाया करता था. हाँ बता देना प्रासंगिक होगा कि तबला कभी किसी से सीखा नहीं;मेरे दादाजी ज़रूर निष्णात तबला वादक थे . उनकी बात कभी और.....

जिस कॉलोनी में हम रहते हैं वह साकेत कहलाती है... ...इसी कॉलोनी के टाटा एक्सपोर्ट्स गेस्ट हाउस में श्रीमती हिंगोरानी की कार ने प्रवेश किया. सामने महान क्रिकेटर कर्नल सी.के.नायुडु साहब की बेटी चंद्रा नायुडु नज़र आईं. नमस्ते हुई.मैंने पूछा चंद्रा दीदी आप यहाँ ? तो जवाब मिला हाँ मेरे ही तो मेहमान हैं दादा मुनि.....गेस्ट हाउस में बहुत सारे बच्चे बैठे हुए थे और उनके सामने कुर्सी पर बिराजे थे जानेमाने अभिनेता अशोककुमार साहब....

मैंने श्रीमती हिंगोरानी से पूछा...आँटी तबला किसके साथ बजाना है. वे बोलीं....अशोककुमार साहब के साथ......हाथ पाँव फूल गये...पास पहुँचा. दादा मुनि को प्रणाम किया.... वे बोले तुम तबला बजाओगे... मैंने कहा हाँ दादा... क्या गाएंगे ... बोले दो गाने सुनाउंगा ... रेलगाड़ी ... और नीना की नानी की नाव चली ... तो साहब इस नाचीज़ को अशोककुमार जैसे महान अभिनेता के साथ तबला संगति का मौक़ा मिल गया ... गाना ख़त्म हुआ तो मैंने पूछा दादा कोई ग़लती तो नहीं हुई ... तो दादा मुनि अपना चिर-परिचित ठहाका लगाते हुए बोले मैं कौन सा ताल में गा रहा था ... बाद में कंधे पर रख कर कहा बहुत अच्छा बजाते हो... और फ़िर बहुत सारी बातें ... जिनका उल्लेख और कभी करेंगे....बाद में उन्होंने अपने साथ में तस्वीर खिंचवाने की इजाज़त दी

सोचा आज दादा मुनि का जन्म दिन है सो इस तस्वीर के बहाने उस मुलाक़ात को दस्तावेज़ भी कर लूँ और आपको वह चित्र भी दिखलाऊं. मुलाहिज़ा फ़रमाएँ.


-संजय पटेल

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