Monday, February 10, 2014

लूटेगा फिर साल भर गुलबदनों की बहार

बाबा नज़ीर अकबराबादी ज़िन्दाबाद


करके बसंती लिबास सबसे बरस दिन के दिन
यार मिला आन कर हमसे बरस दिन के दिन
खेत पै सरसों के जा, जाम सुराही मंगा
दिल की निकाली मियाँ! हमने हविस दिन के दिन
सबकी निगाहों में दी ऐश की सरसों खिला
साकी ने क्या ही लिया वाह यह जस दिन के दिन
खल्क में शोर-ए-बसंत यों तो बहुत दिन से था
हमने तो लूटी बहार ऐश की बस दिन के दिन
आगे तो फिरता रहा ग़ैरों में हो ज़र्द पोश
हमसे मिला पर वह शोख़ खाके तरस दिन के दिन
गरचे यह त्यौहार की पहली खुशी है ज़्यादः
ऐन जो रस है सो वह निकले है रस दिन के दिन

लूटेगा फिर साल भर गुलबदनों की बहार
यार से मिलते नज़ीर आज बरस दिन के दिन 

3 comments:

  1. हमसे मिला पर वह शोख़ खाके तरस दिन के दिन
    ***********************************
    alhada,al-mast,dilkash andaz-e-bayan hai bhai.

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  2. कहना ही पडेगा कि वाह नजीर साहब

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