Thursday, December 25, 2014
समझना यह बात, मेरी जान
पांच पंक्तियाँ
- नाज़िम हिकमत
परे जा पाना दिल, सड़कों और किताबों में रखे झूठों से
माँ की लोरियों से
ख़बरों से जिन्हें समाचारवाचक पढ़ता है
समझना यह बात, मेरी जान, कितना आनंदभरा है यह सब
समझना, क्या जा चुका और क्या है अभी आने को.
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