Tuesday, May 10, 2016

दूसरे हल्द्वानी फिल्म समारोह की फ़िल्में - 1

अछूत कन्या 
निर्देशक : विनोद कापड़ी
४२ मिनट



हमारे देश में बलात्कार की शिकार महिलाओं को दोहरी विडम्बना वाला जीवन जीने को मजबूर होना पड़ता है – एक तरफ़ तो उनकी व्यक्तिगत और मानसिक ज़िन्दगी पर स्थाई रूप से घाव लग जाते हैं वहीं हमारा समाज उनके प्रति उस सहानुभूति को प्रकट नहीं करता जिसकी वे हकदार होती हैं. हमारा सामाजिक-राजनैतिक ताना-बाना ऐसा है कि हमारे देश की इन मासूम नागरिकों को उसी त्रासदी से बार-बार गुज़रना पड़ता है. परिणामतः उन्हें समाज के उन अदृश्य हाशियों पर रहने को अभिशप्त होना पड़ता है जहाँ न्याय अब भी एक बड़ी मारीचिका है जिसे मिलने में कई बार इतना समय लग जाता है जितने में वे कई जीवन जी चुकी होतीं. विनोद कापड़ी ने उत्तर प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली की ऐसी ही कुछ कहानियों को अपनी डॉक्यूमेंट्री में दर्ज किया है.

विनोद कापड़ी. फ़ोटो: राजेन्द्र सिंह बिष्ट 

2 comments:

  1. ऐसी सोंच रखना भी पाप है कि आप किसी को जाति, धर्म के अनुसार किसी को नीच समझें, कबाड़खाना को मै हमेशा पढता हूँ , समझता हूँ , व गहन करता हूँ......ऐसी ही सोच, विचारों को आप लेख के माध्यम से शब्दनगरी के जरिये भी लोगों तक पहुंचा सकतें हैं |

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