Thursday, December 14, 2017
किसके गले में डाल दँ ये आदिवासी बाहें
खिड़की
- इब्बार रब्बी
उसकी खिड़की पर
लोहे की सलाख को
पहली बार
लपेटा
अँखुए ने
ओह! बेल
यह क्या किया!
नवजात
गंधाते
मृणाल को
तूने लपेटा सलाख से
किसके गले में डाल दँ
ये आदिवासी बाहें!
[1967]
3 comments:
सुशील कुमार जोशी
December 14, 2017 at 8:59 AM
बहुत खूब
Reply
Delete
Replies
Reply
'एकलव्य'
December 14, 2017 at 8:06 PM
सुन्दर !
Reply
Delete
Replies
Reply
हितेष
December 20, 2017 at 10:16 PM
Beautiful lines..
Reply
Delete
Replies
Reply
Add comment
Load more...
‹
›
Home
View web version
बहुत खूब
ReplyDeleteसुन्दर !
ReplyDeleteBeautiful lines..
ReplyDelete