Sunday, June 14, 2015

अगर मेरी आवाज़ तुम तक नहीं पहुँच रही है

अगर मेरी आवाज़ तुम तक नहीं पहुँच रही है

-अफ़ज़ाल अहमद सैय्यद

अगर मेरी आवाज़ तुम तक नहीं पहुँच रही है
तो गूँज को शामिल करो उसमें
पुराने महाग्रंथों की गूँज

उसमें शामिल करो
एक शहज़ादी

और शहज़ादी में अपनी ख़ूबसूरती

और अपनी ख़ूबसूरती में
एक महबूब  का दिल

और महबूब के दिल में
एक खंज़र

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