Wednesday, December 21, 2016

तुम धीरे-धीरे अपनी तरह का जीवन जियोगे


सब तुम्हें नहीं कर सकते प्यार
-कुमार अम्बुज

यह मुमकिन ही नहीं कि सब तुम्हें करें ‍प्यार
यह जो तुम बार-बार नाक सिकोड़ते हो
और माथे पर जो बल आते हैं
हो सकता है कि किसी को इस पर आए ‍प्यार
लेकिन इसी बात पर कई लोग चले जाएँगे तुमसे दूर

सड़क पार करने की घबराहट खाना खाने में जल्दबाजी
या जरा-सी बात पर उदास होने की आदत
कई लोगों को एक साथ तुमसे ‍प्यार करने से रोक ही देगी
फिर किसी को पसंद नहीं आएगी तुम्हारी चाल
किसी को आँखों में आँखें डालकर बात करना गुजरेगा नागवार
चलते चलते रुककर इमली के पेड़ को देखना
एक बार फिर तुम्हारे खिलाफ जाएगा

फिर भी यदि बहुत से लोग एक साथ कहें
कि वे सब तुमको करते हैं ‍प्यार तो रुको और सोचो
यह बात जीवन की साधारणता के विरोध में जा रही है

तुम धीरे-धीरे अपनी तरह का जीवन जियोगे
और यह होगा ही तुम अपने ‍प्यार करने वालों को
मुश्किल में डालते चले जाओगे
जो उन्नीस सौ चौहत्तर में, उन्नीस सौ नवासी में
और दो हजार पॉंच में करते थे तुमसे प्यार
तुम्‍हारी जड़ों में देते थे पानी
और कुछ जगह छोडकर खडे होते थे कि तुम्हें मिले प्रकाश
वे भी एक दिन इसलिए दूर हो सकते हैं कि अब
तुम्हाए होने की परछाई उनकी जगह तक पहुँचती है

तुम्‍हारे पक्ष में सिर्फ यही बात हो सकती है
कि कुछ लोग तुम्हारे खुरदरेपन की वजह से भी
करने लगते हैं तुम्‍हें प्यार

जीवन उस रंगीन चिड़िया की तरफ देखो
जो कि किसी का मन मोह लेती है
और ठीक उसी वक़्त एक दूसरा उसे देखता है
शिकार की तरह.

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