Sunday, June 29, 2008

छाप तिलक सब छीनी रे मोसे नैना मिलाय के - आबिदा परवीन के स्वर में


और क्या कहा जाय
बस सुनें
आधुनिक हिन्दी कविता के आदि पुरूष अमीर खुसरो की यह रचना और आबिदा परवीन का स्वर !

11 comments:

  1. आबिदा परवीन का जादू सर चढ़ कर बोल रहा है, रविवार की सुबह जम गयी आज

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  2. तन को तो रोज़ नहलाते हैं हम
    मन....
    कभी कभी नहाता है
    सबसे करते बात रोज़ ही
    अपने से अब बतियाता है

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  3. ये कौन सा प्लेयर है? मैं इसे कहा से डाउनलोड कर सकता हू?

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  4. छा गये सिद्धेश्वर बाबू! आनन्द प्राप्त हुआ.

    रोशन साहब, यह लाइफ़लॉगर का फ़्लैश प्लेयर है. कहीं से भी डाउनलोड कर लीजिये.

    www.lifelogger.com पर अपना अकाउन्ट भी आप बना सकते हैं जहां संगीत अपलोड करने की सुविधा मिलती है.

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  5. अशोक जी आपका शुक्रिया.. तहे दिल से शुक्रिया

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  6. शब्द नहीं है बयां करने के लिये बस आनन्द ले रहे हैं। लगातार दसवीं बार सुन रहा हूँ।
    बहुत बहुत धन्यवाद .....

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  7. पता नहीं क्या चक्कर ह. एकाएक रुक गया. फिर आते हैं.

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  8. बहुत खूब है यह तो .शुक्रिया इसको सुनवाने का

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  9. और अब जो हम आए तो प्लेयर ही गायब मिला !
    देर से आने की सज़ा...

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  10. अजित भाई,
    आज सुबह से ही लाइफ़लॉगर तक़लीफ़ दे रहा है. कभी चलता है कभी ठ से ठप्प. आजमाते रहें तक़दीर.

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  11. shukra hai aaj to baj ria hai saahab.

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