पानी में घिरे हुए लोग
प्रार्थना नहीं करते
वे पूरे विश्वास से देखते हैं पानी को
और एक दिन
बिना किसी सूचना के
खच्चर बैल या भैंस की पीठ पर
घर-असबाब लादकर
चल देते हैं कहीं और
यह कितना अद्भुत है
कि बाढ़ चाहे जितनी भयानक हो
उन्हें पानी में थोड़ी-सी जगह ज़रूर मिल जाती है
थोड़ी-सी धूप
थोड़ा-सा आसमान
फिर वे गाड़ देते हैं खम्भे
तान देते हैं बोरे
उलझा देते हैं मूंज की रस्सियां और टाट
पानी में घिरे हुए लोग
अपने साथ ले आते हैं पुआल की गंध
वे ले आते हैं आम की गुठलियां
खाली टिन
भुने हुए चने
वे ले आते हैं चिलम और आग
फिर बह जाते हैं उनके मवेशी
उनकी पूजा की घंटी बह जाती है
बह जाती है महावीर जी की आदमकद मूर्ति
घरों की कच्ची दीवारें
दीवारों पर बने हुए हाथी-घोड़े
फूल-पत्ते
पाट-पटोरे
सब बह जाते हैं
मगर पानी में घिरे हुए लोग
शिकायत नहीं करते
वे हर कीमत पर अपनी चिलम के छेद में
कहीं न कहीं बचा रखते हैं
थोड़ी-सी आग
फिर डूब जाता है सूरज
कहीं से आती हैं
पानी पर तैरती हुई
लोगों के बोलने की तेज आवाजें
कहीं से उठता है धुआं
पेड़ों पर मंडराता हुआ
और पानी में घिरे हुए लोग
हो जाते हैं बेचैन
वे जला देते हैं
एक टुटही लालटेन
टांग देते हैं किसी ऊंचे बांस पर
ताकि उनके होने की खबर
पानी के पार तक पहुंचती रहे
फिर उस मद्धिम रोशनी में
पानी की आंखों में
आंखें डाले हुए
वे रात-भर खड़े रहते हैं
पानी के सामने
पानी की तरफ
पानी के खिलाफ
सिर्फ उनके अंदर
अरार की तरह
हर बार कुछ टूटता है
हर बार पानी में कुछ गिरता है
छपाक........छपाक.......
-केदारनाथ सिंह
एक सच्ची तस्वीर पेश करती रचना। पढवाने के लिए शुक्रिया।
ReplyDeleteएक अच्छी कविता पढ़वाने के लिए शुक्रिया।
ReplyDeletemere pradesh men abhi zyadatar log pani men ghire hue hain...unke liye hm pani bahar log prarthna kr rhe hain!
ReplyDeleteबिहार में तो अभी यही हो रहा होगा। :(
ReplyDeletebadh me ghire logo ka chitran bakhoobi kiya hai aapne. ek achchhi aur gambhir rachana k liye dhanyabad.
ReplyDeleteएक अच्छी कविता और एक अच्छी पोस्ट के लिये बधाई स्वीकर करें !
ReplyDeleteपढ़वाने के लिए शुक्रिया।
ReplyDeleteअच्छी संवेदनात्मक रचना है।
ReplyDeleteबिहार में आई बाढ़ की विभीषिका के बीच इस रचना को पढ़ना पीड़ितों के घावों का अंदाजा दे गया। सुक्रिया इस रचना को यहाँ प्रस्तुत करने का।
ReplyDeleteकेदारनाथ जी सघन संवेदना के
ReplyDeleteविरल शिल्पी हैं...
आभार इस प्रस्तुति के लिए.
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डॉ.चन्द्रकुमार जैन
शुक्रिया दोस्तों।
ReplyDeletewah ! kya khub kavita hai..
ReplyDeletewah ! kya khub kavita hai..
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