Sunday, April 26, 2009

गिरगिट जी के संग लुकाछिपी के रंग

एक हैं गिरगिट जी। ये साहब शकल - सूरत , भाव - भंगिमा से कुछ 'कवी' टाइप के जीव लग रहे है... और कई इनों से इस नाचीज को ठग रहे हैं .....
ये सब जगह पाए जाते हैं, हमारे आसपास और हमारी हिन्दी भाषा के मुहावरों की दुनिया में भी। पारखी नजर के स्वामी इन्हें इंसानों की फितरत में भी देख लेते हैं। अगर कभी एकांत में अपने से बतियाने का मौका मिले तो इन्हें खुद के भीतरी तह में भी देखा जा सकता है। किस्से -कहानियों में तो इनकी मौजूदगी आम है। इस समय इनकी बहार है और ये सबसे कहते फिर रहे हैं - कहो ना प्यार है !
एक गिरगिट जी हमारे घर के नन्हें बगीचे में कुछ दिनों से विश्राम किए हुए हैं।नाम -गाम पूछने पर आँखें मटकाते हैं और गरदन हिलाते हैं। अभी दोपहरी में जब हल्के बादल छाए हैं तब हमने इनका शिकार करने की जुगत भिड़ाई और गोली बंदूक तो अपने पास है नहीं , बरछी ,गँड़ासा ,कटार भी नहीं किन्तु कैमरा तो है , सो कर डाला शिकार। ल्यो जी ! आप भी मिलो इन प्यारे- न्यारे गिरगिट जी से.....
काम से आराम
पत्तों के बिछौने पर
पल भर विश्राम !
यह जो कनेर का तना है
फिलहाल
यही अपना घर बना है
रात की रानी की झाड़
दे रही है
धूप -घाम से आड़

सोचो
सोचने में क्या जाता है
खर्च धेला नहीं
मजा भरपूर आता है
क्या है उस पार ?
शायद नफरत
शायद प्यार
जी में उमड़ रही है शायरी
पास न कागज - न कलम
हाय किस्मत ! हाय री !

16 comments:

  1. thatz a cute chameleon for sure ,but it looks better in neighbour's courtyard !

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  2. देख-देख गिरगिट को दुनिया रंग बदलती है।
    इसीलिए तो कवियों की लेखनी मचलती है।।

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  3. गिरगिट ने चाहे लाख रंग बदला हो लेकिन आपके कैमरे से छिप नहीं पाया! फोटो दिखाने के लिये धन्यवाद!

    कुछ गिरगिट यहाँ भी देखें!

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  4. बहुत विचारशील किस्म का गिरगिट पकड़ा है आपने !
    घुघूती बासूती

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  5. सिर्फ इतना कहना काफी होगा-
    इस रंग बदलती दुनिया में गिरगिट जैसा कोई नहीं।

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  6. आप ने जो शिकार किया है उस मे आप पूरी तरह से कामयाब रहे ।बधाई स्वीकारें।बढिया फोटों हैं।

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  7. दरअस्ल बात ये है कि गिरगिट तो डिस्कवरी और एनीमल प्लेनेट वाले भी दिखला रहे हैं मगर वो गिरगिट मात्र ज्ञानवर्धन और अचंभित कर देने का उपक्रम है सो शुष्क है जबकि आपके इस गिरगिट में निजता है अपनत्व है और निजता को साझा करना यही तो ब्लोगिंग है मेरे भाई...यही तो ! वर्ना मैं क्यों न बी बी सी देखूं ? क्यों न बीयर का गिलास लिए डिस्कवरी ट्रेवल एंड लिविंग देखूं और पूरी करुँ अपनी दमित आकांक्षाएं? सो इसलिए आपका ये गिरगिट अहम् हो जाता है भाई . जिस दिन ब्लॉग जगत ये समझ लेगा वो विवादों से मुक्त हो जायेगा , परम सुखी हो जायेगा . मैं गलत तो नहीं कह रहा ?

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  8. जीवन के ढेरों रंग दिखा दिए ।
    ऎसे भी देखा जा सकता है।
    आभार मित्र।

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  9. देखिये मैंने पूछा था कि मैंने ग़लत तो नहीं कहा ? इसका उत्तर न आने से संवाद हीनता की अवांछित स्थिति बन रही है.

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  10. मुनीश जी, "मौनं स्वीकृतिलक्षणम्"! चुप्पी का मतलब है आपकी बात सही थी, और सबको स्वीकार्य थी। :)

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  11. देखिये आप मेरा डायलौग मुझी को सुना रये हैं और इस से संवाद में जड़ता की स्थिति बन रही है ...वो कोई शेप नहीं ले पा रया है !

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  12. siddheshwar ji ki is adbhut,rangamayi & kaavyaatmak prastuti ke liye unhen haardik badhaai ! mujhe barbas mashahoor kavi Kedarnath Singh ka yah kaavyaansha yaad aa gaya----
    'maine poochha us girgit se
    jo jhaank raha tha jhurmut se
    saathi, udaas-se dikhte ho
    kya kavita-vavita likhte ho?'
    ---pankaj chaturvedi
    kanpur

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