Tuesday, March 9, 2010

एक पुरानी यात्रा की यादें



विएना में रहने वाला मेरा इन्जीनियर दोस्त वेरनर मुझे अपने कुछ दोस्तों से मिलाना चाहता था जिनके साथ वह अभी कुछ दिन पहले आस्ट्रेलिया में एक माह घूम कर आया था। हमारी मुलाकात विएना के इकलौते आस्ट्रेलियाई रेस्त्रां ‘क्रॉसफील्ड्स्’ में हुई।



दरअसल हमारी मुलाकात का एक खास प्रयोजन था। वेरनर की पत्नी सूसाने पिछले साल दो माह भारत आ कर रह गई थी और विएना भर के दोस्तों को भारत की तारीफ के किस्से सुनाती थकती नहीं थी। इन किस्सों का असर था कि भारत जाने के नाम पर नाक भौं सिकोड़ने वाला वेरनर अब भारत जाने को तैयार था। इस यात्रा में उसके साथ उसका एक दोस्त चार्ली भी आना चाह रहा था। मेरे साथ मिलकर ये दोनों भारत यात्रा को लेकर कुछ चीजें ‘तय’ करना चाहते थे।

फिलहाल ‘क्रॉसफील्ड्स्’ में चार्ली के अलावा एक शख्स और भी था : थोड़ा सा मनहूस नज़र आने वाला शिक्षाशास्त्री गेरहार्ट दो तीन बार आगरा बनारस हो आया था और भारत यात्राओं के उसके अनुभव कोई बहुत उल्लेखनीय नहीं थे। बढ़िया आस्ट्रेलियाई बीयर पीते हुए चार्ली मुझसे तीन हफ्तों की यात्रा की तरतीबवार योजना बना कर देना चाहता था।

गेरहार्ट को सम्भवत: उसकी भारत यात्राओं में दिल्ली के ट्रैवल एजेन्टों और टैक्सी वालों ने खूब उल्लू बनाया था। छोटे छोटे विवरणों को लेकर उसके पास कई सारे सवालात थे। मैंने उस से कहा कि भारत में बहुत सी बातें इस तरह एडवान्स में तय नहीं की जा सकतीं। और यह भी कि मैं उनके लिए तीन सप्ताहों का मोटा मोटा खाका बना सकता हूं लेकिन यह मैं मिसाल के लिए यह नहीं बता पाऊंगा कि किस दिन दिल्ली से हल्द्वानी पहुंचने में कितने घंटे लगेंगे क्योंकि बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करेगा कि उस दिन ट्रैफिक कितना होगा। बात बात में अपना पामटॉप और प्लानर निकाल लेने वाला वेरनर मेरी इस बात से थोड़ा विचलित नज़र आया लेकिन बीयर और गर्मागर्म स्निट्जे़ल्स उसे दुबारा सामान्य कर देने को काफी थे।

हमारी बातचीत करीब एक घन्टा चली और विदा लेते समय दोनों की प्रस्तावित यात्रा में बस ताजमहल दर्शन ही सौ फीसदी तय हो पाया था। बाकी सारी बातें मुझ पर छोड़ दी गई थीं।

अभी मुझे विएना में ही रहना था इसलिए वेरनर के निमन्त्रण पर मैंने एक बार फिर उसके साथ चार्ली से मिलना स्वीकार कर लिया। इस दफा हम लोग आस्ट्रिया के सम्भवत: सबसे प्रसिद्ध बीयर बार ‘सीबेन श्टेर्न’ (सेवेन स्टार) में मिले। ‘सीबेन श्टेर्न’ एक ऐतिहासिक बार है और आसानी से वहां बैठने की जगह नहीं मिलती। जगह खाली होने के इन्तजार में भारी संख्या में लोग बाहर सीढ़ियों पर बैठे रहते हैं। हमारी किस्मत से चार्ली पहले ही वहां पहुंच चुका था और बाकायदा एक मेज घेरकर बैठा था। ‘सीबेन श्टेर्न’ बार बेसमेन्ट में है जबकि ऊपर की मंजिल पर बीयर बनाई जाती है और सात तरह की बीयरों का स्वाद यहां लिया जा सकता है।

(जारी)

5 comments:

  1. बहुत कोफ़्त होती है इस 'जारी'से. पर मेरा यहाँ का पिछला अनुभव चाहे वो पूना से मारुति८०० का दर्दनाक सफर हो या भूसा गाथा हो या फिर कुछ महान गप्प कथाएँ हो, आश्वस्त करने वाला है कि लंबा क्रम भंग नहीं होने वाला.

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  2. I agree not to disagree in toto with Manoj ji as he 's another 'M'.

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