सुन्दर लेखन।
किशोर कुमार के गाए रवीन्द्र संगीत की प्रस्तुति रोचक है .... आगे की प्रतीक्षा में ..
आमी खुद किशोर का फैन है लेकिन उसका कंठ बांगला नाहीं ...ओ हिंदी वाले जैसा थोड़ा अल्प- मिष्टी गान कोरे !
दादा ठाकोर का भव्य -छवि !
मुनीश भाई की टिप्पणी दिलचस्प लगी। पर यह प्रस्तुति अच्छी लगी।
सुन्दर गीत ।
सुन्दर लेखन।
ReplyDeleteकिशोर कुमार के गाए रवीन्द्र संगीत की प्रस्तुति रोचक है .... आगे की प्रतीक्षा में ..
ReplyDeleteआमी खुद किशोर का फैन है लेकिन उसका कंठ बांगला नाहीं ...ओ हिंदी वाले जैसा थोड़ा अल्प- मिष्टी गान कोरे !
ReplyDeleteदादा ठाकोर का भव्य -छवि !
ReplyDeleteमुनीश भाई की टिप्पणी दिलचस्प लगी।
ReplyDeleteपर यह प्रस्तुति अच्छी लगी।
सुन्दर गीत ।
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