Friday, November 19, 2010

इस वक़्त एक हाथ पर हो रही है बारिश

खेल के बाद

वास्को पोपा (अनुवाद: सोमदत्त)



आख़िर में हाथ पकड़ते हैं पेट
फूट न जाय कहीं पेट हंसते हंसते
लेकिन पेट वहां हैई नहीं

एक हाथ बमुश्किल उठा पाता है ख़ुद को
पोछने के लिए ठंडा पसीना माथे से
लेकिन माथा भी गया

दूसरा हाथ जकड़ता है दिल की जगह
को कहीं दिल ही न उछल पड़े सीने से
दिल भी उड़नछू

दोनों हाथ लटक जाते हैं
गोद पर पड़े आलसी हाथ
कि गोद भी गायब

इस वक़्त एक हाथ पर हो रही है बारिश
दूसरे पर उग रहा है सब्ज़ा
अब और क्या कहूं मैं


[चित्र: नीदरलैण्ड के विख्यात चित्रकार हायरोनिमस बॉश (1450 – 1516) की एक कलाकृति]

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