Wednesday, April 18, 2012
उमड़ घुमड़ घिर आए रे सजनी बदरा
मेहदी हसन साहेब की क्लैसिकल सीरीज़ जारी है. आज एक कम्पोजीशन - राग देस में एक पारंपरिक बंदिश.
2 comments:
Anupama Tripathi
April 18, 2012 at 1:31 PM
बहुत सुंदर ... देस प्रदर्शन ....मल्हार सा भ्रम देता ...
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Neeraj
April 22, 2012 at 7:04 PM
बहुत कुछ बरसा है आज
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बहुत सुंदर ... देस प्रदर्शन ....मल्हार सा भ्रम देता ...
ReplyDeleteबहुत कुछ बरसा है आज
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