सैनिक
अनुपस्थिति में छावनी
-वीरेन डंगवाल
लाम पर गई है पलटन
बैरकें सूनी पड़ी हैं
निर्भ्रान्त और इत्मीनान से
सड़क पार कर रही बन्दरों की एक डार
एक शैतान शिशु बन्दर
चकल्लस में बार-बार
अपनी माँ की पीठ पर बैठा जा रहा
डाँट भी खा रहा बार-बार
छावनी एक साथ कितनी निरापद
और कितनी असहाय
अपने सैनिकों के बगैर
बैरकें सूनी पड़ी हैं
निर्भ्रान्त और इत्मीनान से
सड़क पार कर रही बन्दरों की एक डार
एक शैतान शिशु बन्दर
चकल्लस में बार-बार
अपनी माँ की पीठ पर बैठा जा रहा
डाँट भी खा रहा बार-बार
छावनी एक साथ कितनी निरापद
और कितनी असहाय
अपने सैनिकों के बगैर
युद्ध कितना जरूरी कितना व्यर्थ?
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