Wednesday, December 15, 2010

'दि ट्रैम्प' और 'दि ग्रेट स्टोन फेस'


चार्ली चैप्लिन का नाम किसी परिचय का मोहताज़ नहीं | चार्ली एक सितारे की तरह फिल्मजगत के फलक पर चमके थे, और चमकते रहेंगे | उनकी फिल्मों ने आम दर्शकों को हंसाया भी, रुलाया भी | आलोचकों को भी उनकी फिल्मों ने शिकायत का मौका नहीं दिया | 'दि किड', 'दि सर्कस', 'दि गोल्ड रश', 'सिटी लाईट', 'मोडर्न टाइम्स', 'दि ग्रेट डिक्टेटर', ये सारी वे फ़िल्में हैं जिनके लिए आज भी विश्व सिनेमा चार्ली का अहसान मानता है | लेकिन चार्ली को न भूलने वाली शोहरत दिलाई उनके किरदार 'ट्रैम्प' ने | पुराना सा सूट, टोपी, और छड़ी लिए, ढीली ढाली पैंट को बार बार हाथ से पकड़कर ऊपर करने वाले इस किरदार को पूरी दुनिया में जाना जाता है |
 
लेकिन ये साथ में कौन है ? तो साहब! अंग्रेजी पिक्चर देखने वाले हिंदी भाइयों, ये हैं बस्टर कीटन ? बस्टर कीटन एक अन्वेषक, जिज्ञासु और तकरीबन सफल फिल्मकार थे जिन्होंने चार्ली के ही दौर में सिनेमा में कदम रखा था | 'शेर्लोक जूनियर', 'दि जेनेरल', 'स्टीमबोट बिल, जूनियर' , 'अवर होस्पिटैलीटी', 'दि थ्री ऐजेस', 'सेवेन चांसेस'  कीटन की कुछ साधारण सफल फिल्मों में से है , जिन्हें आज मास्टरपीस माना जाता है | कीटन अपने दौर के पहले अभिनेता- निर्देशक थे, जिन्होंने सिनेमा के तकनीकी पहलुओं को भुनाने की कोशिश की थी | कीटन से पहले कैमरा सिर्फ निर्जीव सी वस्तु हुआ करता था, जिससे कोई सीन फिल्माया जाता था | कीटन ने कैमरे को भी फिल्मांकन का जरूरी हिस्सा बना दिया | 'वन वीक' के आखिरी दृश्य में जब कीटन अपने घर के नीचे टायर लगाकर उसे दूसरी जगह पर ले जा रहा होता है तो रेल ट्रैक पर घर फंस जाता है | उसी समय एक लोकोमोटिव आती हुई दिखती है | मुख्य पात्र कीटन, उसकी पत्नी डरकर एक दूसरे की तरफ देखते हैं |  कीटन , अपनी और अपनी पत्नी की आँखें बन्द कर देता है | दर्शक भी यही समझते हैं कि लोकोमोटिव घर को तोड़ते हुए निकल जायेगी | जैसे ही लोकोमोटिव बस्टर के घर को उजाड़ने वाला होता है, वह उसके पास से सटी दूसरी पटरी से निकल जाती है | दर्शकों को पता चलता है कि उन्हें बेवकूफ बनाया गया है | अब कीटन के साथ दर्शक भी यही अंदाजा लगते हैं कि घर बच गया | कीटन दर्शकों को सिर्फ उतना हिस्सा ही दिखाते हैं जितना कि उस दृश्य में पात्र के लिए जरूरी होता है | जब दर्शकों को ये विश्वास हो जाता है कि घर नहीं उजड़ेगा, और कीटन व उसकी पत्नी एक दूसरे को बधाई दे रहे होते हैं, अगले दृश्य में दूसरी तरफ से आने वाली लोकोमोटिव कीटन का घर उजाड़ देती है |


कीटन की पहचान थी उसका सपाट चेहरा, जिस पर कोई भाव नहीं आते थे, उसका पोर्क-पाई हैट, और उसके जांबाज स्टंट दृश्य | सपाट चेहरे के लिए ही कीटन को कहा जाता है 'दि ग्रेट स्टोन फेस' | आज भी, जहाँ भी आपको कोई मूक फिल्म का दृश्य दिखे | उसमे अगर कोई किरदार जगह जगह गिरता पड़ता चोट खाता हुआ दिखाई दे, समझ लीजिये वही कीटन है | गिरने के बाद उठता तो फिर वही सपाट चेहरा, जैसे पता ही नहीं कि क्या हुआ हो | चार्ली चैप्लिन के लिए भावनाएं बहुत महत्वपूर्ण थी, जबकि कीटन का किरदार बस भावहीन चेहरा लिए घूमता है जैसे आप उसपे कुछ भी अपनी मर्ज़ी की भावनाएं डाल सकें | चैप्लिन का किरदार ट्रैम्प सहानुभूति मानता था, जबकि कीटन इस बात की परवाह नहीं करता था | रोजर एबर्ट, फिल्म आलोचक, कहते हैं कि कीटन परवाह नहीं करते हो ऐसा नहीं है, लेकिन कीटन का अहंकार था जो दर्शकों की सहानुभूति मांगने में आड़े आता था | मुझे लगता है कि कीटन हम चचेरे भाई बहनों में से कोई एक होता है, जिस पर हम सब हँसते हैं, उसकी हरकतों पर उसे बेवकूफ कहते हैं | लेकिन वो सपाट चेहरा बनाकर हमारी तरफ ऐसे देखता है जैसे पूछ रहा हो कि उसने ऐसा क्या कर दिया जिसपे हम हँस रहे हैं | धीरे धीरे वो सोच ही बना लेता है कि कुछ भी करो लोग हँसेंगे ही, इसलिए वो पूछना ही छोड़ देता है | ऐसा नहीं कि उसे बुरा न लगता हो लेकिन उसका बुरा मानना हमें फिर से हँसने का मौका देता है |

मूक फिल्मों के दौर के ख़त्म होते ही कीटन का कैरियर भी ख़त्म हो चला था, उसके बाद कीटन फिल्म 'लाइमलाईट' में चार्ली चैप्लिन के साथ दिखायी दिए | 'लाइमलाईट' के लिए चार्ली चैप्लिन को इकलौता ओस्कर मिला | विडंबना देखिये मशहूर लेखक-निर्देशक को जो मूक फिल्मों के एक चरित्र 'ट्रैम्प' की वजह से पहचाना गया , उसे ओस्कर भी मिला तो म्युसिकल स्कोर राइटिंग  के लिए | १९६६ में कीटन चुपचाप दुनिया को छोड़कर चले गए | उनकी फिल्मों के प्रिंट एक लम्बे समय तक नष्ट मान लिए गए थे | लेकिन धीरे धीरे उनके प्रिंट संरक्षित किये गए | आज कीटन को सिनेमा का सबसे बुद्धिमान अभिनेता-निर्देशक माना जाता है |

माफ़ करना दोस्तों ऑफिस टाइम में विडियो अपलोड नहीं कर सकता था | अब आप ये विडियो देखिये, इससे आपको ये तो दिख जाएगा कि कीटन कौन था, लेकिन कीटन जीनियस को देखने के लिए तो पूरी की पूरी फिल्म ही देखनी होगी |
   

कबाड़खाने के लिए जरूरी आदर्श बस्टर कीटन को हमारा सलाम |

(सभी चित्र गूगल से सर्च करके लिए गए हैं | विडियो यूट्यूब से लिया गया है |)

9 comments:

  1. सिनेमा इतिहास का मेरे लिए अनजान पहलू बस्‍टर कीटन, सार्थक प्रस्‍तुति.

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  2. नीरज भाई, मेरे एक मित्र ने कीटन की चर्चा की थी और उनके भाव विहिन चेहरे का भी जिक्र किया था लेकिन बात पुरानी हो गई थी और मुझे कीटन की याद न रही। आज उनके बारे में पढ़ते हुए वह बहस याद आ गई। दरअसल, उस मित्र को चार्ली चैप्लिन से ज्‍यादा कीटन पसंद थे, लेकिन मैंने उनका नाम तक न सुना था। और जैसा कि कॉलेज के दिनों में कई बार होता है, बिना उनके बारे में जाने ही मैं अंत तक इस बात पर अड़ा रहा था कि मूक फिल्‍मों में चार्ली चैप्लिन से बेहतर या उनके पासंग भी कोई नहीं हो सकता।

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  3. कीटन का योगदान अतुलनीय है, फिल्मक्षेत्र में।

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  4. The show must go on..!
    बहुत बढ़ियां कबाड़ी जमा किए हैं अशोक भाई, मस्त पोस्ट है. जारी रहें नीरज जी.

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  5. The show must go on..!
    बहुत बढ़ियां कबाड़ी जमा किए हैं अशोक भाई, मस्त पोस्ट है. जारी रहें नीरज जी.

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  6. The show must go on..!
    बहुत बढ़ियां कबाड़ी जमा किए हैं अशोक भाई, मस्त पोस्ट है. जारी रहें नीरज जी.

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  7. संदीप भैजी,
    अगर किसी नयी फिल्म में आपको मूक फिल्मों का कोई दृश्य दिखाई दे, तो ज्यादातर वो बस्टर कीटन की किसी फिल्म से ही होता है |
    बाकी, चार्ली और बस्टर में बेहतर कौन, ये बहस तो हमेशा चलती रहेगी | जहाँ तक मेरा प्रश्न है, मेरे लिए चार्ली दिल है तो बस्टर दिमाग | संवेदनशीलता चार्ली की फिल्मों की मुख्य विशेषता है, और बुद्धिमता बस्टर की फिल्मों की |

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  8. इस बार के चर्चा मंच पर आपके लिये कुछ विशेष
    आकर्षण है तो एक बार आइये जरूर और देखिये
    क्या आपको ये आकर्षण बांध पाया ……………
    आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
    कल (20/12/2010) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
    देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
    अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
    http://charchamanch.uchcharan.com

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