-शिवप्रसाद जोशी
आम्सटर्डम. नीदरलैंड्स की राजधानी . रेलवे स्टेशन से बाहर निकलते हुए सबसे पहले जो चीज़ें दिखाईदेती हैं वे हैं साइकिलें और नहर और नावें. आम्सटर्डम साइकिल का शहर या फिर नहरों का. यूं येविनसेंट वान(फ़ान) गॉग का शहर भी है. यूं ये सेक्स सिटी भी है. पूरा शहर समुद्र के बैक वॉटर्स से इकट्ठा कर बनाई गई झील से घिरा और फिर उससे निकाली गई नहरें. और नहर पर नावें. नहरें पूरे शहर को इस तरह से काटते हुए बहती हैं कि लगता है आप उन्हीं पर चल रहे हैं. सड़क भी नहर की है.
आम्सटर्डम में साइकिलों की विशाल चार मंज़िला पार्किंग. किराए पर दी जाती हैं. आम्सटर्डम जैसे एक लाइव आर्ट है. आपके सामने रखा हुआ. एक ऐसी पेंटिंग जिसमें आप दाखिल हो जाएं और फिर उस कैनवस से बाहर निकल आएं. विरोधाभासों का शहर. पानी, साइकिल, कला और सेक्स. रहता है सुंदरियों के साथ और नया होता रहता है अपनी कला में पानी के साथ. स्कूल, रेस्तरां, गलियों, इमारतों, सड़कों, दुकानों, कॉलेज से होते हुए एक विशाल पार्क में पहुंचे और वहां से वान गॉग के संग्रहालय के लिए निकले. स्मृति के इतने नज़दीकी नज़ारे शायद ही कहीं मिलेंगे. गॉग के नाम पर अब पन्ने डायरी कलम से लेकर टीशर्ट किताब छाते छल्ले सब बिकते हैं. पेंटिंग्स तो जो हैं सो हैं. कैमरे की मनाही है.
गॉग के कला जीवन की व्यवस्थित सुरुचिपूर्वक और तरतीब से लगाई झांकी है ये. उस जीवन की जो कितना इररेगुलर इरैटिक क़िस्म का था. उसके जीवन के उत्पात वो अटपटापन वे ऊबड़खाबड़ वीरानियां और हाहाकार जैसे यहां क्रमपूर्वक लगे हैं. कैनवस को तहसनहस करने वाले रंग उकेरने वाला वो दीवाना पेंटर. वो सोचने वाला शख़्स. जो सिर्फ़ कला और प्रेम के बारे में सोचता था. उस उत्पात को देखने का हौसला तो चाहिए ही. वे सूरजमुखी वे आइरिस के फूल. लगता है कैनवस मिट्टी है और वहीं से वे उग उठें हैं और छलक कर हमारे सामने लहरा रहे हैं. अपनी उद्दाम उदासियों और रंगतों में. आलू खाता परिवार जैसे हमारे सामने एक घर है और हम उस उदास रोशनी में दाखिल हो गए हैं. बिन बुलाए मेहमान की तरह.
अपने कलाकार को सम्मानपूर्वक याद करने का ये अनुपम उदाहरण है. संग्रहालय की कमर्शियल वैल्यू भले ही हो लेकिन उसे डिज़ाइन बड़े कलात्मक ढंग से किया गया है. बहुत लंबी और थकान भरी लेकिन ये देखना जैसे एक यात्रा है. इंटेंस अविस्मरणीय यात्रा. गॉग के जैसे किसी लैंडस्केप पर बेचैनी और उत्सुकता और हलकी ख़ुशी में टहलना. और आख़िर में जैसे कांपते हुए आप उन दो कब्रों के पास से गुज़रते हैं. वे दो अद्भुत प्रेम में पगे भाई. थियो और विनसेंट. वहां रखने के लिए आपके पास दो फूल तक नहीं हैं. गीली आंखे एक हिचकी जैसी और स्तब्ध. आप यकायक भावुकता और बेचैनी में पहले उस लैंडस्केप से निकल आना चाहते हैं. संग्रहालय के उस फ़्लोर की सीढ़ी उतरते हैं. जल्द ही ये सब ख़त्म हो जाएगा. चमकता बाज़ार आपका इंतज़ार कर रहा है. वान गॉग वहां भी हैं. नाना उत्पादों में. आप ख़ुद को रिफ़्रेश कीजिए.
आम्सटर्डम. नीदरलैंड्स की राजधानी . रेलवे स्टेशन से बाहर निकलते हुए सबसे पहले जो चीज़ें दिखाईदेती हैं वे हैं साइकिलें और नहर और नावें. आम्सटर्डम साइकिल का शहर या फिर नहरों का. यूं येविनसेंट वान(फ़ान) गॉग का शहर भी है. यूं ये सेक्स सिटी भी है. पूरा शहर समुद्र के बैक वॉटर्स से इकट्ठा कर बनाई गई झील से घिरा और फिर उससे निकाली गई नहरें. और नहर पर नावें. नहरें पूरे शहर को इस तरह से काटते हुए बहती हैं कि लगता है आप उन्हीं पर चल रहे हैं. सड़क भी नहर की है.
आम्सटर्डम में साइकिलों की विशाल चार मंज़िला पार्किंग. किराए पर दी जाती हैं. आम्सटर्डम जैसे एक लाइव आर्ट है. आपके सामने रखा हुआ. एक ऐसी पेंटिंग जिसमें आप दाखिल हो जाएं और फिर उस कैनवस से बाहर निकल आएं. विरोधाभासों का शहर. पानी, साइकिल, कला और सेक्स. रहता है सुंदरियों के साथ और नया होता रहता है अपनी कला में पानी के साथ. स्कूल, रेस्तरां, गलियों, इमारतों, सड़कों, दुकानों, कॉलेज से होते हुए एक विशाल पार्क में पहुंचे और वहां से वान गॉग के संग्रहालय के लिए निकले. स्मृति के इतने नज़दीकी नज़ारे शायद ही कहीं मिलेंगे. गॉग के नाम पर अब पन्ने डायरी कलम से लेकर टीशर्ट किताब छाते छल्ले सब बिकते हैं. पेंटिंग्स तो जो हैं सो हैं. कैमरे की मनाही है.
गॉग के कला जीवन की व्यवस्थित सुरुचिपूर्वक और तरतीब से लगाई झांकी है ये. उस जीवन की जो कितना इररेगुलर इरैटिक क़िस्म का था. उसके जीवन के उत्पात वो अटपटापन वे ऊबड़खाबड़ वीरानियां और हाहाकार जैसे यहां क्रमपूर्वक लगे हैं. कैनवस को तहसनहस करने वाले रंग उकेरने वाला वो दीवाना पेंटर. वो सोचने वाला शख़्स. जो सिर्फ़ कला और प्रेम के बारे में सोचता था. उस उत्पात को देखने का हौसला तो चाहिए ही. वे सूरजमुखी वे आइरिस के फूल. लगता है कैनवस मिट्टी है और वहीं से वे उग उठें हैं और छलक कर हमारे सामने लहरा रहे हैं. अपनी उद्दाम उदासियों और रंगतों में. आलू खाता परिवार जैसे हमारे सामने एक घर है और हम उस उदास रोशनी में दाखिल हो गए हैं. बिन बुलाए मेहमान की तरह.
अपने कलाकार को सम्मानपूर्वक याद करने का ये अनुपम उदाहरण है. संग्रहालय की कमर्शियल वैल्यू भले ही हो लेकिन उसे डिज़ाइन बड़े कलात्मक ढंग से किया गया है. बहुत लंबी और थकान भरी लेकिन ये देखना जैसे एक यात्रा है. इंटेंस अविस्मरणीय यात्रा. गॉग के जैसे किसी लैंडस्केप पर बेचैनी और उत्सुकता और हलकी ख़ुशी में टहलना. और आख़िर में जैसे कांपते हुए आप उन दो कब्रों के पास से गुज़रते हैं. वे दो अद्भुत प्रेम में पगे भाई. थियो और विनसेंट. वहां रखने के लिए आपके पास दो फूल तक नहीं हैं. गीली आंखे एक हिचकी जैसी और स्तब्ध. आप यकायक भावुकता और बेचैनी में पहले उस लैंडस्केप से निकल आना चाहते हैं. संग्रहालय के उस फ़्लोर की सीढ़ी उतरते हैं. जल्द ही ये सब ख़त्म हो जाएगा. चमकता बाज़ार आपका इंतज़ार कर रहा है. वान गॉग वहां भी हैं. नाना उत्पादों में. आप ख़ुद को रिफ़्रेश कीजिए.
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