(इन्द्रेश मैखुरी की फेसबुक वॉल से साभार)
साल का
पहला दिन होने के अलावा 1 जनवरी नुक्कड़ नाटक आंदोलन के
प्रतिनिधि चेहरे - सफदर हाशमी - का शहादत दिवस भी है. दिल्ली के पास साहिबाबाद मे
नुक्कड़ नाटक-हल्ला बोल- करते हुए कांग्रेसी गुंडों ने उन पर हमला किया और 1
जनवरी 1989 को उनकी शहादत हो गयी. नुक्कड़ नाटक
करते हुए शहीद होने से पहले भी उन पर और उनकी नाट्य टीम-जन नाट्य मंच पर कई बार
पुलिस और गुंडों ने हमला किया था. आज जब अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता पर नए सिरे से
हमले तेज हो रहे हैं तो सफदर हाशमी की शहादत को याद करना समीचीन होगा. सफदर हाशमी से उत्तराखंड का एक संबंध यह भी रहा है कि 1976 मे गढ़वाल विश्वविद्यालय मे अँग्रेजी के
प्राध्यापक रहे थे. उस दौर पर डा.प्रभात उप्रेती ने एक बेहतरीन पुस्तक - सफदर : एक
आदमक़द इंसान- लिखी है.
सफदर को उनके शहादत दिवस पर याद करते हुए उनकी यह बहुचर्चित कविता प्रस्तुत है -
पढना-लिखना सीखो ओ मेहनत करने वालो
पढना-लिखना सीखो ओ भूख से मरने वालो
क ख ग घ को पहचानो
अलिफ को पढना सीखो,
अ आ इ ई को हथियार
बनाकर लडना सीखो
अलिफ को पढना सीखो,
अ आ इ ई को हथियार
बनाकर लडना सीखो
ओ सडक बनाने वालो, ओ भवन
उठाने वालो
खुद अपनी किस्मत का फैसला अगर तुम्हें करना है
ओ बोझा ढोने वालो, ओ रेल चलाने वालो
अगर देश की बागडोर को कब्जे में करना है
खुद अपनी किस्मत का फैसला अगर तुम्हें करना है
ओ बोझा ढोने वालो, ओ रेल चलाने वालो
अगर देश की बागडोर को कब्जे में करना है
क ख ग घ को पहचानो
अलिफ को पढना सीखो,
अ आ इ ई को हथियार
बनाकर लडना सीखो
अलिफ को पढना सीखो,
अ आ इ ई को हथियार
बनाकर लडना सीखो
पूछो मजदूरी की खातिर लोग भटकते क्यों हैं?
पढो, तुम्हारी सूखी रोटी गिद्ध लपकते क्यों हैं?
पूछो, मां-बहनों पर यों बदमाश झपटते क्यों हैं?
पढो, तुम्हारी मेहनत का फल सेठ गटकते क्यों हैं?
पढो, तुम्हारी सूखी रोटी गिद्ध लपकते क्यों हैं?
पूछो, मां-बहनों पर यों बदमाश झपटते क्यों हैं?
पढो, तुम्हारी मेहनत का फल सेठ गटकते क्यों हैं?
पढो, लिखा है
दीवारों पर महनतकश का नारा
पढो, पोस्टर क्या कहता है, वो भी दोस्त तुम्हारा
पढो, अगर अंधे विश्वासों से पाना छुटकारा
पढो, किताबें कहती हैं- सारा संसार तुम्हारा
पढो, पोस्टर क्या कहता है, वो भी दोस्त तुम्हारा
पढो, अगर अंधे विश्वासों से पाना छुटकारा
पढो, किताबें कहती हैं- सारा संसार तुम्हारा
पढो, कि हर मेहनतकश को उसका हक दिलवाना है
पढो, अगर इस देश को अपने ढंग से चलवाना है
क ख ग घ को पहचानो
अलिफ को पढना सीखो,
अ आ इ ई को हथियार
बनाकर लडना सीखो
अलिफ को पढना सीखो,
अ आ इ ई को हथियार
बनाकर लडना सीखो
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