एक हंसी
एक हंसी का थुलथुल पेट हंसता है
एक हंसी के दांतों में बेहिसाब कीड़ा लगा हुआ है
एक हंसी लोगों को पागल बना सकती है लेकिन
एक हंसी को हंसने से नहीं रोका जा सकता
एक हंसी अच्छी हो सकती है या बुरी लेकिन
एक हंसी और मैं फिलहाल अच्छे दोस्त हैं
एक हंसी पाले रहती है एक शर्मसार कुत्ता
एक हंसी भी रो सकती है किसी भी समय।
एक हंसी के दांतों में बेहिसाब कीड़ा लगा हुआ है
एक हंसी लोगों को पागल बना सकती है लेकिन
एक हंसी को हंसने से नहीं रोका जा सकता
एक हंसी अच्छी हो सकती है या बुरी लेकिन
एक हंसी और मैं फिलहाल अच्छे दोस्त हैं
एक हंसी पाले रहती है एक शर्मसार कुत्ता
एक हंसी भी रो सकती है किसी भी समय।
चिड़ियाघर
पेड़ों से छनकर आई धूप के नीचे
मेरी नन्ही बच्ची “मन्की ट्रेन” की सवारी कर रही है
जब वह नजदीक आती है मैं खुश होता हूं
जब वह दूर जाती है मैं उदास हो जाता हूं
हर तीसरी बार मैं कैमरे का शटर नहीं दबा पाता।
यहां हमारे जैसे बहुत से परिवार हैं
मुझे उनसे ज्यादा खुशी महसूस नहीं होती
मुझे उनसे कम खुशी महसूस नहीं होती
तो भी मेरा मन अचानक गहराने लगता है
हाथी अपनी सूंढ़ को उठाकर गिराता है
मगरमच्छ जिन्दा रहता है खामोशी के साथ
छलांग लगाता है हिरन
किस तरह का जानवर कहा जा सकता है मुझे ?
मेरी नन्ही बच्ची “मन्की ट्रेन” की सवारी कर रही है
जब वह नजदीक आती है मैं खुश होता हूं
जब वह दूर जाती है मैं उदास हो जाता हूं
हर तीसरी बार मैं कैमरे का शटर नहीं दबा पाता।
यहां हमारे जैसे बहुत से परिवार हैं
मुझे उनसे ज्यादा खुशी महसूस नहीं होती
मुझे उनसे कम खुशी महसूस नहीं होती
तो भी मेरा मन अचानक गहराने लगता है
हाथी अपनी सूंढ़ को उठाकर गिराता है
मगरमच्छ जिन्दा रहता है खामोशी के साथ
छलांग लगाता है हिरन
किस तरह का जानवर कहा जा सकता है मुझे ?
तेरेसा
मैं याद करता हूं तेरेसा को
वह कमरे में दाखिल हुई थी
बिना कुछ भी थामे हुए
बस हवा की हल्की सी लरज़ के साथ।
वह कमरे में दाखिल हुई थी
बिना कुछ भी थामे हुए
बस हवा की हल्की सी लरज़ के साथ।
छोटे छोटे केकों से भरी है एक तश्तरी
एक कटोरे में गर्म हो रही है चाय
मेरे बारे में हमेशा खराब बातें करने वाली
एक दीवार गिर चुकी है और ढह रही है छत।
एक कटोरे में गर्म हो रही है चाय
मेरे बारे में हमेशा खराब बातें करने वाली
एक दीवार गिर चुकी है और ढह रही है छत।
जीवाणुओं से ढंका हुआ और इल्लियों का खाया हुआ
एक जीवन किसी निशब्द दीर्घ कराह जैसा है
मेरी त्वचा का हर पोर उसे सुनता है
तेरेसा को प्यार कर चुकने के बाद मुझे निषिद्ध हैं सारे सपने।
मेरी जीभ पर घुल जाता है अंगूरों के स्वाद के साथ पलस्तर का स्वाद
अक्टूबर की हवाओं के बाद
नवम्बर के पाले के बाद मैं याद करता हूं तेरेसा को
बिना उस से मिले हुए।
एक जीवन किसी निशब्द दीर्घ कराह जैसा है
मेरी त्वचा का हर पोर उसे सुनता है
तेरेसा को प्यार कर चुकने के बाद मुझे निषिद्ध हैं सारे सपने।
मेरी जीभ पर घुल जाता है अंगूरों के स्वाद के साथ पलस्तर का स्वाद
अक्टूबर की हवाओं के बाद
नवम्बर के पाले के बाद मैं याद करता हूं तेरेसा को
बिना उस से मिले हुए।
एक स्केच
हम सारे करीब करीब मर चुके हैं
झीने धुंए के कफन से ढंके जंगल में
एक मक्खी फंस गई है मकड़ी के जाल में
घास पर औंधा पड़ा है एक इन्सुलेटर।
झीने धुंए के कफन से ढंके जंगल में
एक मक्खी फंस गई है मकड़ी के जाल में
घास पर औंधा पड़ा है एक इन्सुलेटर।
धीरे धीरे नष्ट होते हुए भी मैं याद करता हूं
खुलना शुरू करते हुए एक स्त्री के होंठ
और उस भीतरी अन्धकार में
एक गतिमान जीभ।
खुलना शुरू करते हुए एक स्त्री के होंठ
और उस भीतरी अन्धकार में
एक गतिमान जीभ।
क्या शब्द बोले ही जाने वाले थे?
क्या वह मुझे सहलाए जाने की शुरुआत हो सकती थी?
क्या किसी को जरूरत थी पानी के गिलास की?
क्या यह हो सकता था कि वे सारे के सारे एक समान थे?
अपनी ईमानदार आंखों ¸ कानों¸ मुंह और जननेन्दियों की मदद से
इन्हीं चीजों की मदद से मैंने भी लिखा¸
बिना किसी अर्थ के स्वाद का आनन्द लेते हुए।
क्या वह मुझे सहलाए जाने की शुरुआत हो सकती थी?
क्या किसी को जरूरत थी पानी के गिलास की?
क्या यह हो सकता था कि वे सारे के सारे एक समान थे?
अपनी ईमानदार आंखों ¸ कानों¸ मुंह और जननेन्दियों की मदद से
इन्हीं चीजों की मदद से मैंने भी लिखा¸
बिना किसी अर्थ के स्वाद का आनन्द लेते हुए।
जली हुई पानी से तर
बमुश्किल अपना आकार बचाए लौंदा बन चुकी एक किताब
मद्धम धूप में पड़ी है फफूंद लगी पत्तियों पर
और वहां अब भी समय खुदा हुआ है।
वार करने को तत्पर और तीखेपन के साथ फैलती हुई
कड़ियल मिठास और अंधा बना देने वाली कड़वाहट के साथ
वह धुंधलाती जाती है:
एक अजनबी फल की स्मृति।
बमुश्किल अपना आकार बचाए लौंदा बन चुकी एक किताब
मद्धम धूप में पड़ी है फफूंद लगी पत्तियों पर
और वहां अब भी समय खुदा हुआ है।
वार करने को तत्पर और तीखेपन के साथ फैलती हुई
कड़ियल मिठास और अंधा बना देने वाली कड़वाहट के साथ
वह धुंधलाती जाती है:
एक अजनबी फल की स्मृति।
(अनुवाद : अशोक पांडे )
1 comment:
chipkaye kabaadi ji. Isi kabaad me hi ek din duniya ki sarvottam cheezein milengi.
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