Saturday, October 6, 2007

रोबेर्तो हुआर्रोज़ की चार कवितायेँ

अजेर्न्टीनी कवि रोबेर्तो हुआरोर्ज़ (1925 1995) बीसवीं सदी की लातीन अमरीकी कविता के प्रमुख स्तम्भों में गिने जाते हैं। यहां प्रस्तुत कविताएं उनकी सबसे विख्यात पुस्तक ‘वर्टिकल पोइट्री’ से ली गई हैं।

कुछ कपड़े ऐसे होते हैं


कुछ कपड़े ऐसे होते हैं जो प्रेम से ज्यादा समय तक चलते हैं
कुछ कपड़े होते हैं जो मृत्यु से प्रारम्भ होते हैं
और दुनिया भर में जाते है
और जाते हैं दो संसारों में


कुछ कपड़े होते हैं जो घिसने के बजाय
हर पल नये होते जाते हैं

कुछ कपड़े होते हैं जो केवल उतारने के लिये होते हैं
वे सम्पूर्ण कपड़े होते हैं

मनुष्य का पतन
उन्हें उनके पैरों पर खड़ा रखता है


एक दिन आयेगा

एक दिन आयेगा
जब हमें खिड़की के शीशों को गिराने के लिये उन्हें धकेलने की
जरूरत नहीं होगी
न कीलों को ठोकने की उन्हें थामे रखने को
न पत्थरों पर चलने की उन्हें खामोश रखने को
न स्त्रियों के चेहरों को पीने की उन्हें मुस्कराने देने को
यह एक महान मिलन की शुरूआत होगी
यहां तब कि ईश्वर भी बोलना सीख जायेगा
और शरमीले अनन्तों की उसकी गुफा में
हवा और रोशनी प्रवेश करेगी
तब तुम्हारी आंखों और तुम्हारे पेट के बीच कोई फर्क नहीं रहेगा
न मेरे शब्दों और मेरे मुंह के बीच
पत्थर तुम्हारी छातियों जैसे होंगे
और मैं अपनी कविता का निर्माण अपने हाथों से करूंगा
ताकि किसी को कोई गलतफहमी न हो


हर चीज़ अपने लिये हाथ बनाती है

हर चीज़ अपने लिये हाथ बनाती है।
मिसाल के तौर पर पेड़
हवा को बांटने के लिये।
हर चीज़ अपने लिये पांव बनाती है
मिसाल के तौर पर घर
किसी का पीछा करने के लिये।
हर चीज़ अपने लिये आँखें बनाती है
मिसाल के तौर पर तीर
निशाने पर लगने के लिये।
हर चीज़ अपने लिये जीभ बनाती है
मिसाल के तौर पर गिलास
शराब से बात करने के लिये।
हर चीज़ अपने लिये एक कहानी बनाती है
मिसाल के तौर पर पानी
दूर तक साफ़ बहने के लिये।


कुछ मृत्युएँ सम्पूर्ण होती हैं

कुछ मृत्युएँ सम्पूर्ण होती हैं।
धोखाधिड़यों से भरे हुए हैं कब्रिस्तान।
गलियाँ भरी हुई है प्रेतों से।
बहुत कम मृत्युएँ होती हैं सम्पूर्ण।
लेकिन चिड़िया को पता होता है सबसे अन्त में टिकना है किस टहनी पर
और पेड़ जानता है चिड़िया कहाँ ख़त्म होती है।

बहुत कम मृत्युएँ होती हैं सम्पूर्ण।


हर बार और अनिश्चय से भर जाती है मृत्यु
मृत्यु वह चीज है जिसे जीवन पहन कर देख रहा है
और कभी - कभी दो जीवन लग जाते हैं
एक मृत्यु को पूरा करने के लिये।

बहुत कम मृत्युएँ होती हैं सम्पूर्ण
घंटियों से हर बार हमेशा एक सी आवाज निकलती है
लेकिन वास्तविकता की कोई गारन्टी नहीं होती
और मरने के लिये जीने से अधिक कुछ की आवश्यकता होती है।


अनुवाद: अशोक पाण्डे

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