Thursday, October 11, 2007

आलोक धन्वा

नींद

रात के आवारा
मेरी आत्मा के पास भी रुको
मुझे दो ऐसी नींद
जिस पर एक तिनके का भी दबाव ना हो

ऐसी नींद
जैसे चांद में पानी की घास

1 comment:

Ashok Pande said...

हमारे समय के महानतम कवियों में एक हैं आलोक धन्वा। किसी को कोई शक़! शुक्रिया शिरीष।