Saturday, March 19, 2016

हो मुबारक मंजरी फूलों भरी - कुमाऊँ में गाई जाने वाली होलियाँ - 1


1. हो मुबारक मंजरी‍ फूलों भरी

हो मुबारक मंजरी फूलों भरी
ऐसी होरी खेलें जनाब अली

बारादरी में रंग बनो है,
हसन बाग मची होरी

ऐसी होरी खेलें जनाब अली
जुग-जुग जीवैं मि‍त्र हमारे
बरस-बरस खेलें होरी


ऐसी होरी खेलें जनाब अली


2. होरी कैसे खेलूँ री मैं

बि‍रज में होरी कैसे खेलूँ री मैं साँवरिया के संग
कोरे-कोरे मटक मगाये
ता पर घोला रंग
भर पि‍चकारी सन्मुख मारी
अँगि‍या हो गई तंग-
बि‍रज में होली कैसे खेलू री में साँवरि‍या के संग
अबीर उड़ता गुलाल उड़ता
उड़ते सातो रंग
भर पि‍चकारी सन्मुख मारी
अँगि‍या हो गई तंग-
बि‍रज में होली कैसे खेलू री में साँवरि‍या के संग
लहँगा तेरा घूम-घुमैला अँगि‍या तेरी तंग
खसम तुम्हा रे बडे़ नि‍खट्टू
चलो हमारे संग-
बि‍रज में होली कैसे खेलू री में साँवरि‍या के संग

(ये होलियाँ मशहूर जनकवि गिरीश तिवाड़ी 'गिर्दा' के होलीगीत-संकलन 'रंग डालि दियो अलबेलिन में' से साभार ली गई हैं)

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