Sunday, December 23, 2007

'तान कप्तान की ऐसी फिरत है जैसे अर्जुन जी के बान'

कल मैंने उस्ताद फ़तेह अली खान और यान गार्बोरेक की जुगलबन्दी सुनाई थी. ठुमरी वाले सम्मानित विमल भाई को लगा था कि ये उस्ताद फ़तेह अली खान वो वाले हैं याने बाबा नुसरत के अब्बूजान. असल में ग़लती मेरी है. ये उस्ताद बड़े फ़तेह अली ख़ान कहे जाते हैं और ये वो नहीं हैं .

नुसरत साहब के वालिद यानी फ़तेह अली ख़ान साहेब न सिर्फ़ बड़े क़व्वाल थे, उन्हें ध्रुपद में कमाल हासिल था. उनकी तानें जगतख्यात थीं और कालान्तर में वे 'तान कप्तान' के नाम से जाने गए. (*असल में यह भी सच नहीं है. 'तान कप्तान' की पदवी पटियाला घराने के फ़तेह अली ख़ान साह्ब के दादाजी को कहा जाता था. यह सूचना अभी अभी टैक्सास में अध्ययनरत श्री नीरज ने दी है. 'अन्तर्ध्वनि नामका ब्लाग चलाने वाले नीरज भाई ने एक लिन्क भी भेजा है : http://www.sawf.org/Newedit/edit12112000/musicarts.asp . यह ब्लागिंग का एक और ज़बर्दस्त आयाम है. फ़िल्हाल नीरज भाई का शुक्रिया.)

प्रस्तुत है राजन साजन मिश्र की थर्रा देने वाली आवाज़ों में राग अडाना में यह शानदार कम्पोज़ीशन जिसके बोल उस्ताद फ़तेह अली ख़ान के दादाजी का महिमागान करते हैं: "तान कपतान, छा गयो जग में फ़तेह अली ख़ान"



(१० मिनट ११ सेकेंड)

*यह पोस्ट विमल भाई के लिये खास ('सोनार तेरी सोना पर मेरी बिस्वास है' पर बिस्वास करते हुए और उनका आभार भी व्यक्त करते हुए.)

3 comments:

Neeraj Rohilla said...

"तान कप्तान" वाली बंदिश उस्ताद फ़तेह अली खान साहब के दादाजी की याद में लिखी गयी थी न कि उस्ताद नुसरत फ़तेह अली खान के पिताजी की याद में । आप इस लिंक को देख सकते हैं,
http://www.sawf.org/Newedit/edit12112000/musicarts.asp

Superstars in their time (the first quarter of the 20th C) the Alia-Fattu (Ali Baksh and Fateh Ali) duo from Patiala has been honoured in this bandish composed by "Meherban." It is rendered here by Fateh Ali's grandson, the current Fateh Ali -


tAna kaptAna kahA gayo jagata meN Fateh Ali Khan
tAna balawant ki aisi phirata hai jaise Arjuna-ji ki bAna

Ashok Pande said...

शुक्रिया नीरज भाई. मुझे करीब पन्द्रह साल पहले शास्त्रीय संगीत में पारंगत एक सज्जन ने यह बात बताई थी. गलती मेरी है, मुझे जांच लेना चाहिए था. मगर तब कैसे पता लगता कि आप जैसे भले लोग भी तो हैं यहां. आपका बहुत बहुत शुक्रिया. अभी पोस्ट ठीक कर देता हूं और आपका आभार भी.

VIMAL VERMA said...

बहुत बढ़िया..ऐसी रचना सुनवाई है कि तबियत मस्त हो गई..और खास बात जो आप और नीरज जी के संवाद से कुछ और बातें पता चलीं,नीरज जी का बहुत बहुत शुक्रिया अगर वो नहीं बताते तो हम मुगालते में ही रहते...चलिये सही जानकारी तो मिल गई....अभी तक मैं भी फ़तेह अली खां के बारे में यही सोचता था कि एक हैं और नुसरत साहब के पिता के अलावा और कोई फ़तेह अली खान है ही नहीं......आपका बहुत बहुत शुक्रिया जो आपको अभी भी सोने पर उतना ही विश्वास है.....