Saturday, December 22, 2007

उस्ताद फ़तेह अली ख़ान और यान गार्बारेक की जुगलबन्दी

पटियाला घराने के अग्रगण्य गायकों में थे अमानत अली खान और फ़तेह अली ख़ान बन्धु . बड़े यानी अमानत अली ख़ान साहब अब नहीं हैं. खयाल गायकी में इन दोनों का बड़ा नाम रहा है. ान गार्बारेक नार्वे के मशहूर सैक्सोफ़ोन वादक हैं और पिछले कुछ दशकों से उन्होंने दुनिया भर के संगीतकारों के साथ संगत और जुगलबन्दी की है. वे अपनी प्रयोगधर्मिता के लिये जाने जाते हैं. इन्होने स्कैंडिनेविया की लोकधुनों पर काम किया है और शेक्सपीयर के नाटकों का संगीत भी दिया है. अज़ान की धुन पर उनका काम उल्लेखनीय रहा है. भारतीय संगीत से गहरे प्रभावित गार्बारेक ने उस्ताद शौकत अली ख़ान और उस्ताद नाज़िम अली ख़ान के साथ भी काम किया है.

'रागाज़ एंड सागाज़' नामक उन का जुगलबन्दी का अल्बम उस्ताद फ़तेह अली खान के साथ १९९२ में रिलीज़ हुआ था. उसी में से सुनिये एक कम्पोज़ीशन




(१२ मिनट ५२ सेकेन्ड)

3 comments:

VIMAL VERMA said...

आपने दिल खुश कर दिया,प्रयोग तो खूब होने चाहिये, और इस तरह के पश्चिम और पूरब के वाद्य का खूबसूरत संयोजन के लिये याद किये जायेंगे, एक सूचना कि उस्ताद फ़तेह अली खान उस्ताद नुसरत अली खान के पिता थे,कुछ रचना मेरे पास भी हैं, सैक्सोफ़ोन भी कितना अच्छा बजा है कानों वाकई मिश्री सी धुल रही है, शुक्रिया मित्र

पारुल "पुखराज" said...

wah! din ki sabsey sureeli aur khuubsurat post...bahut aabhaar isey hum tak pahunchaaney ka ASHOK JI

Ashok Pande said...

नहीं विमल भाई ये वो उस्ताद फ़तेह अली ख़ां नहीं हैं.ये दूसरे वाले हैं और बाक़ायदा ज़िन्दा हैं अभी.नुसरत साहब के पिता तो काफ़ी पहले गुज़र गए थे. उन्हें 'तान कप्तान' की पदवी हासिल थी और वे ध्रुपद के बाद्शाह थे. राजन साजन मिश्र की आवाज़ में कल एक तान सुनाऊंगा राग अड़ाना में : "तान कप्तान . छा गयो जग में फ़तेह अली ख़ान.