Wednesday, August 27, 2008

कबाड़खाना, श्री अशोक पांडे, श्री सिद्धेश्वर और साथियों के प्रति आभार


मैं भरा हूं और भीतर से हरा हूं।

6 comments:

यारा said...

जिंदाबाद रविन्द्र भाई
जिंदाबाद!!

स्वागत है आपका


अवधेश प्रताप सिंह
इंदौर ९८२७४ ३३५७५

वीरेन डंगवाल said...

is adbhut hare ko apun ka salaam.
yauvan teri shital chaya,
tujh mein bhaith ghoont bhar pee loon,
jo ras too hai laya.
Prasad.

viren dangwal.

वीरेन डंगवाल said...

is adbhut hare ko apun ka salaam.
yauvan teri shital chaya,
tujh mein bhaith ghoont bhar pee loon,
jo ras too hai laya.
Prasad.

viren dangwal.

ravindra vyas said...

अवधेशभाई शुक्रिया।
और आदरणीय वीरेनजी, आपका कमेंट मुझे नई ऊर्जा से भर गया है। आज फिर कुछ हरा रचूंगा। आपके लिए। कबाड़खाना के लिए।
बस क्या कहूं?

सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी said...

ईश्वर यह नैसर्गिक हरियाली यूँ ही बनाए रखे... साधुवाद।

ravindra vyas said...

त्रिपाठीजी, शुक्रिया। हां, यह हरियाली बरकरार रहेगी।
आपको हरियाली शुभकामनाएं।