Tuesday, October 14, 2008
आपकी फ़ेवरेट कॉमिक स्ट्रिप कौन सी है?
गैरी लार्सन के 'द फ़ार साइड' कार्टून मुझे सबसे ज़्यादा आकृष्ट करते हैं.
कॉमिक्स में एस्ट्रिक्स.
लेकिन कॉमिक स्ट्रिप्स की बात आती है तो मैं असमंजस में पड़ जाता हूं. मेरी बेटी के मुताबिक गारफ़ील्ड को ही मेरी सबसे प्रिय कॉमिक स्ट्रिप होने का अधिकार है (क्योंकि ख़ुद वह गारफ़ील्ड की दीवानी है चार-पांच साल की उम्र से). एक भीषण कार्टूनप्रेमी दोस्त के मुताबिक यह स्थान बो-पीप के लिए सुरक्षित है. पीनट्स के बारे में क्या ख़्याल है? ... और माफ़ाल्दा ...
इधर कुछ दिन पहले घर की सफ़ाई करते हुए मुझे मेरे पुराने बक्सों में जो ख़ज़ाना मिला, उसके बाद इस टेढ़े सवाल का जवाब देना थोड़ा आसान हो गया. क़रीब पन्द्रह साल पहले मेरे एक जन्मदिन पर एक दोस्त ने इन स्ट्रिप्स के बारह सैट उपहार में दिए थे. पिछले कुछ दिन इन्हीं के आनन्द में डूबते-लहराते मेरा यक़ीन अब ठोस हो चुका है कि मेरी फ़ेवरेट कॉमिक स्ट्रिप कैल्विन एन्ड हॉब्स है. और कोई इस के आसपास ठहर भी नहीं पातीं.
बिल वाटरसन ने १९८५ से १९९५ के दरम्यान इन्हें रचा. एक समय ऐसा था जब ये दुनिया के ढाई हज़ार अख़बारों में छप रही थीं. सोलहवीं सदी के फ़्रांसीसी दार्शनिक जॉन कैल्विन और सत्रहवीं सदी के ब्रिटिश सामाजिक विचारक टॉमस हॉब्स के नाम पर इस सीरीज़ का नामकरण किया गया था.
कैल्विन छः साल का अविश्वसनीय रूप से बुद्धिमान बच्चा है. हॉब्स नाम का एक चीता उसका सबसे पक्का दोस्त है. दोनों एक ही घर में रहते हैं और एक ही बिस्तर पर सोते हैं. घर कैल्विन के माता-पिता का है. कैल्विन को स्कूल और किताबों से सख़्त परहेज़ है.
हॉब्स जीवन को बहुत हल्के फ़ुल्के देखने का हामी है और जब-तब कैल्विन की सनकभरी बौद्धिकता पर वह कोई ऐसा कमेन्ट कर देता है कि कैल्विन अवाक रह जाता है. कैल्विन की शब्दावली बेहद जटिल और विकट रूप से वयस्क है और उस के लिए हर चीज़ का कोई न कोई दूसरा-तीसरा मतलब होता है. हॉब्स बहुत छोटे वाक्य बोलता है और उसकी भाषा सादा है.
(मूल आकार में देखने को स्ट्रिप्स पर क्लिक करें)
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7 comments:
मेरी पसंद - हेनरी (गुणाकर), ब्लॉण्डी, बीटल-बैली, आर्ची हैं. ढब्बू जी भी यदा कदा आकर्षित करते थे.
अपने एक भीषण रूप से हाज़िरजवाब मलियाली मित्र की वजह से केल्विन & हाब्स मेरा भी पसंदीदा कामिक स्ट्रिप बन गया है। एक तरह से देखा जाए तो यह वयस्कों का ही कामिक स्ट्रिप है।
वैसे चाचा चौधरी वगैरह में भी मज़ा कम नहीं।
काल्विन की सोचने की गति अविश्वसनीय तेज है, डायमेन्शन्स विलक्षण और फंतासियां तो कमाल की हैं। जैसा कि आमतौर पर बच्चों के साथ होता भी है लेकिन कैरियर की चक्की में पिस कर वे उड़ना भूल ही जाते हैं। एक अच्छे संपादक की तरह कार्टूनों की याद दिलाने का शुक्रिया मालिक।
छुटपन में मैंन्ड्रेक, नारदा और लोथार की तिकड़ी थी। आजकल पीनट का चितंनशील कुत्ता सही जा रहा है।
तुम्हारे घर पर ही रात को स्टील के गिलास में भर के रम पिलाने के बाद तुमने मुझे पहली बार इंटरनेट के दर्शन कराए थे और इस अद्भुत कलाकार की दो-तीन स्केचबुक भी दिखाई थी अशोक दा ! तुम्हें याद हो कि न याद हो !
लल्ला हिरी
पूस की उस रात मेरे घर पे तुमने जो किताबें देखी थीं वो गैरी लार्सन की थीं. बहरहाल तुम्हें इश्टील के गिलास की रम के साथ इन्टरनैट पर क्या-क्या देखे की याद है? मैं ता पुल ग्या!
meet ji
shayad hi kisi ka bachpan in strips ke bina guzra hoga, sach mein bahut dino bat aaj muskurahat mere chehre pe laut aayi hai, dhanaywad aapko.
आप बहुत पीछे ले जाकर छोड़ आए, कहूं कि कच्चे में छोड़ आए। बचपन में जाना हमेशा राहतभरा है। कॉमिक्स की दुनिया भी ऐसी ही है। मैं अपनी बिटिया के साथ अब भी टॉम एंड जैरी देखता हूं। और उसके साथ हंस हंस के लोटपोट हो जाता हूं। हालांकि ऐसे मौके अब बहुत कम हो गए हैं। आपका ये याद दिलाना कभी कभी लगता है दुखती रग पर हाथ रखना भी है क्या?
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