इस संस्कीरत सेर के मानी कुछ यों बैठें करें : के कौआ काला, कोयल भी काली, फेर इन दोनों में के फरक, भाया? अरे फरक तो सीधो यो है के ज़रा मौसम-बहार -- माने बसंत रितू -- आन्ने दे, फेर आपने आप ही दूध को दूध और पानी को पानी हो जाए, कौआ कौआ और कोयल कोयल! आई बात समझ में?
9 comments:
अनाड़ी ही हैं, समझे नहीं।
कहा किसके बारे में है यह तो बताइये।
समझ को समझ लो भाई
फिर न समझ तो कैसे
समझ रहे हो तो समझो
न रहे समझ तो कैसे...
मेरी पहेली बुझिये फिर आपको अपना उत्तर मिल जायेगा नहीं मिला तो दक्षिण जाने की ज़रूरत नहीं है।
मैं अनाड़ी ...बिल्कुल न समझ पाया..प्रभु, कुछ ज्ञान दो!!!
अरे अनाड़ी भट्टाचारी भाइयो,
इस संस्कीरत सेर के मानी कुछ यों बैठें करें : के कौआ काला, कोयल भी काली, फेर इन दोनों में के फरक, भाया? अरे फरक तो सीधो यो है के ज़रा मौसम-बहार -- माने बसंत रितू -- आन्ने दे, फेर आपने आप ही दूध को दूध और पानी को पानी हो जाए, कौआ कौआ और कोयल कोयल! आई बात समझ में?
शक्ल नहीं, अभिव्यक्ति व्यक्ति की पहचान है।
अरुण मिया न समझाते तो अनाड़ी ही रह जाते।
बहुत सही लिखा है महाराज !
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