सुन तो लिया किसी नार की ख़ातिर काटा कोह ,निकाली नहर
एक ज़रा-से क़िस्से को अब देते क्यों हो तूल मियाँ.
इब्ने इंशा को बार-बार पढ़ने का मन संभवत: इसलिए करता है उनकी शायरी से खुद को आईडेंटीफाई करने में सहूलियत होती है और सुकून होता है कि लगभग हर हर्फ में अपना -सा ही क़िस्सा बयान किया गया है. इंशा जी ने 'मीर' के साथ खुद को आईडेंटीफाई करते हुए फरमाया है -
अल्लाह करे 'मीर' का जन्नत में मकाँ हो,
मरहूम ने हर बात हमारी ही बयाँ की.
आज मैं बाबा मीर और इंशा जी की बात न करके उस उस कमबख़्त शै के बारे में बात करना चाहता हूँ जिसे इश्क कहते हैं. यह शब्द उर्दू शायरी का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया गया शब्द है. मेरा खयाल तो यह है दुनिया की सभी भाषाओं में इसका समानर्थी शब्द जो भी होता है वह उस खास भाषा में सबसे अधिक प्रयुक्त हुआ होगा और आगे भी होता रहेगा. हर संदर्भ और प्रसंग में इश्क की अलग - अलग छवियाँ हैं -कुछ बेहद सादी , कुछ उलझी , कुछ गुरु - गंभीर और कुछ हलकी- फुल्की.
खेलने दें उन्हें इश्क की बाज़ी,खेलेंगे तो सीखेंगे
क़ैस की ,या फ़रहाद की ख़ातिर ,खोलें क्या स्कूल मियाँ.
आज आपको 'इश्क -स्कूल' का गाना सुनवाने का मन कर रहा है. इसे किसने लिखा है मुझे नहीं मालूम. इसमे कहा गया है कि 'इश्क -स्कूल' में पढ़ने वाले नसीबों वाले होते हैं और आशिक हर पेपर में फेल होते हैं. बाप रे ! यह गाना है कि प्रेम की पाठशाला का पाठ्यक्रम - विभाजन कि किस सबक में क्या - कैसे पढ़ाया जाएगा और प्रश्न कैसे - कितने पूछे जायेंगे. यह भी बताया गया है कि इस स्कूल में एडमिट होने की अर्हता क्या है और कौन - कौन नामचीन हस्तियाँ यहाँ की स्टूडेंट रह चुकी हैं. इब्ने इंशा साहब ने तो इस तरह के स्कूल की कल्पना भर की थी लेकिन सराइकी (सरायकी) भाषा के मशहूर गायक जनाब साजिद मुल्तानी तो बता रहे हैं कि 'इश्क - स्कूल' कबका खुल चुका है ,कई -कई बैच पासआउट कर चुके हैं और नये बैच की भर्ती के वास्ते मुनादी लगातार जारी है. आप सुन तो रहे हैं न ?
एक ज़रा-से क़िस्से को अब देते क्यों हो तूल मियाँ.
इब्ने इंशा को बार-बार पढ़ने का मन संभवत: इसलिए करता है उनकी शायरी से खुद को आईडेंटीफाई करने में सहूलियत होती है और सुकून होता है कि लगभग हर हर्फ में अपना -सा ही क़िस्सा बयान किया गया है. इंशा जी ने 'मीर' के साथ खुद को आईडेंटीफाई करते हुए फरमाया है -
अल्लाह करे 'मीर' का जन्नत में मकाँ हो,
मरहूम ने हर बात हमारी ही बयाँ की.
आज मैं बाबा मीर और इंशा जी की बात न करके उस उस कमबख़्त शै के बारे में बात करना चाहता हूँ जिसे इश्क कहते हैं. यह शब्द उर्दू शायरी का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया गया शब्द है. मेरा खयाल तो यह है दुनिया की सभी भाषाओं में इसका समानर्थी शब्द जो भी होता है वह उस खास भाषा में सबसे अधिक प्रयुक्त हुआ होगा और आगे भी होता रहेगा. हर संदर्भ और प्रसंग में इश्क की अलग - अलग छवियाँ हैं -कुछ बेहद सादी , कुछ उलझी , कुछ गुरु - गंभीर और कुछ हलकी- फुल्की.
खेलने दें उन्हें इश्क की बाज़ी,खेलेंगे तो सीखेंगे
क़ैस की ,या फ़रहाद की ख़ातिर ,खोलें क्या स्कूल मियाँ.
आज आपको 'इश्क -स्कूल' का गाना सुनवाने का मन कर रहा है. इसे किसने लिखा है मुझे नहीं मालूम. इसमे कहा गया है कि 'इश्क -स्कूल' में पढ़ने वाले नसीबों वाले होते हैं और आशिक हर पेपर में फेल होते हैं. बाप रे ! यह गाना है कि प्रेम की पाठशाला का पाठ्यक्रम - विभाजन कि किस सबक में क्या - कैसे पढ़ाया जाएगा और प्रश्न कैसे - कितने पूछे जायेंगे. यह भी बताया गया है कि इस स्कूल में एडमिट होने की अर्हता क्या है और कौन - कौन नामचीन हस्तियाँ यहाँ की स्टूडेंट रह चुकी हैं. इब्ने इंशा साहब ने तो इस तरह के स्कूल की कल्पना भर की थी लेकिन सराइकी (सरायकी) भाषा के मशहूर गायक जनाब साजिद मुल्तानी तो बता रहे हैं कि 'इश्क - स्कूल' कबका खुल चुका है ,कई -कई बैच पासआउट कर चुके हैं और नये बैच की भर्ती के वास्ते मुनादी लगातार जारी है. आप सुन तो रहे हैं न ?
9 comments:
बहुत खूब रहा ये इश्क का लैक्चर
और जो हर चीज़ में शार्टकट ढूंढनेवाले है , वे लोग इश्क की पीएचडी भी बुढ़ियाते प्रोफेसरों से लिखवाने लगे तब क्या होगा ?
जै जै...
Aapne to Ishq pe ek essay hi likh dala sir :-) bahut sundar :-)
New Post :
खो देना चहती हूँ तुम्हें..
इश्क का स्कूल !!!!!!!!!!!!!!
बहुत रोचक !!!!!
जरा हमको भी तो पता बतलाइयेगा ?
मैंने इस इश्क के स्कूल को दिखाने सुनाने के लिए एक मित्र को आपका ब्लॉग दिखाया . उसने पोस्ट पढी, फिर नीचे पढ़ा- पोस्टेड बाई साइड हे ईश्वर. (sidheshwer= side-he-shwer).शायद आशिक था. फेल हो गया .
सर्कार को चइए, इसे सर्व शिक्षा अभियान का टाइटिल सांग बना ले। सीरियसली कैता हूं लाइफ बन जावेगी इश्टूडैन्ट की।
कई दिन बाद आना हुआ ब्लॉगजगत में पर आपकी पोस्ट देख कर मज़ा आगया। चलिए फ़िर से एडमिशन लेते हैं इश्क़ के स्कूल में।
इश्क की डिग्री में पास हो जायें तो बाकी डिग्री की क्या जरूरत ...
Lajawab ...
(मखतबे इश्क का निराला है सबब
उसे फिर छूट्टी ना मिली, जिसे याद हुआ सबक)
बहुत सारे बड़े शायरों के इश्क के सजदे में कई और हिट शैर कॉपी पेस्ट कर जोड़े जा सकते हैं..लेकिन ज्यादा चोरी अच्छी नहीं...
लेकिन मौलिकता और हकीकत तो यही है कि इश्क खुदा की सच्ची इबादत है..मीरा के प्रभु गिराधर नागर
Post a Comment