Saturday, December 26, 2009

कलजुगी औतारी उर्फ़ नौछम्मी नरैण

पर्वतपुत्र विकासपुरुष के नाम से ब्रह्माण्ड में ख्यात एक देवतुल्य राजनेता उर्फ़ नौछम्मी नरैण एक बार पुनः अपने अन्तःपुर में गोपियों के साथ पाए गए.

पता नहीं इतना बावेला काहे मचा पड़ा है. उत्तराख्ण्ड में तो हर कोई कृष्णावतार की अलौकिक लीलाओं से वाकिफ़ है ही भाई!

किन्तु धन्य हो! नब्बे का आंकड़ा छूने को तैयार बैठे इन्ही कलयुगी कृष्णावतार की प्रशस्ति में गढ़वाल के मशहूर और अतीव लोकप्रिय गायक और मेरे अजीज़ मित्र श्री नरेन्द्र सिंह नेगी ने कुछ वर्ष पूर्व इन्हीं देवतुल्य राजनेता पर आधारित एक गीत लिखा और गाया था. सूचना विभाग में अधिकारी के पद पर तैनात नेगी जी को इन्हीं नरैण की कृपा से नौकरी छोड़नी पड़ी थी.

लीजिये देखिये इस गीत का वीडियो. गुज़ारिश है कि गीत को पहले पूरा लोड हो जाने दें, तभी आनन्द आएगा.



(साभार: http://www.youtube.com)

10 comments:

समय चक्र said...

पंडित जी बड़ा दुखद है ... क्या कहें इन नेताओं को.....

समय चक्र said...
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ब्लॉ.ललित शर्मा said...

अशोक पाण्डे जी- नौछम्मी नरैण अपने अन्तःपुर में गोपियों के साथ "शक्तिवर्धक शिलाजीत" की विज्ञापन फ़िल्म की शुटिंग करते पाए गये। 70 के दशक का नारा शायद आप भुल रहे हैं। न नर है न नारी है, नरैण दत्त ........
गाना बढिया बना है, आभार

चन्दन said...

sundar prastuti.
Iska arth bhi diye hote to achchha hota.

RAJ SINH said...

क्या बात है !
बहुत ही उम्दा .

याद आता है ७७ का चुनावी नारा .
इंदिरा का पुजारी है
संजय की सवारी है
न नर है न नारी है
बताओ बच्चों कौन ................................नारायण दत्त तिवारी है .

अब जोड़ लीजिये .......................सैकड़ों नारीयों पर एक नरैना , भारी है भारी है :):)

Ashok Pande said...
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मनोज कुमार said...

बेहतरीन। बधाई।

अमिताभ श्रीवास्तव said...

जैसा है वो सामने है। सामने ऐसे अनेक है। किंतु कभी कभी हम ऐसे तामसी पुरुषों, माफ कीजिये पुरुष कहना भी गलत है, को जब देवतुल्य कह देते हैं, भले ही वो व्यंग्य हो, कटाक्ष हो, किंतु मुझे ठीक नहीं लगता, खासकर क्रुष्ण का नाम लेकर। कलयुगी क्रुष्ण...। क्यों? इससे भान होता है कि क्रुष्ण भी ऐसे थे? आपकी मानसिकता निश्चित रूप से ऐसी नहीं रही होगी जब लिख रहे होंगे, किंतु ऐसे उदाहरण पता नही क्यों मुझे जंचते नहीं। क्यों हम नीच काम करने वाले के लिये कटाक्ष के बहाने ही सही उसे ऐक विशुद्ध महापुरुष का नाम लेकर उद्बोधित करें। क्रुष्ण के बारे में बहुत जानकारी होगी आपके पास, मुझे विश्वास है, क्रुष्ण अवतार सम्बन्धित उनके दर्शन आदि के बारे में भी आपने बहुत पढा होगा। तो प्लीज, प्लीज...ये नेता उनके नाम के करीब क्या उनकी परछाई तक भी फटक नहीं सकते तो हम अपने महापुरुषों को किसी भी बहाने उनसे क्यों जोडे? शायद आप मेरी भावनायें समझ रहे होंगे? आपको मैं पढता रहा हूं। आपका लेखन मुझे पसन्द है, किंतु शायद पहली बार लिख रहा हूं, यानी कुछ आलोचना जैसा। आपने लिखा सटिक है। नराधम नेताओं के लिये नरक की व्यव्स्था शीघ्र हो सके ऐसा कानून बन जाये तो क्या बात है? खैर.., थोडी सी गुजारिश है आपसे..इसे दूसरे सन्दर्भ में भी बेहतर लिखा जा सकता था। अब तो पोस्ट है। और आपने अपनी भावनाओं को भी, अपने देशधर्म को भी कटाक्ष के आधार पर व्यक्त कर दिया है, पर मुझे विश्वास है आप मेरी बात भी समझ रहे होंगे।

Ashok Kumar pandey said...

अमिताभ जी की भावनायें समझी जानी चाहिये। सच तो यह है कि उनके भक्त कविओं ने ही उन्हें रासबिहारी बनाया है।

और नारायन दत्त तिवारी उन नराधम राजनैतिक नेताओं के प्रतिनिधि के रूप में आये हैं जैसे राठौर लालफीताशाही के। सज़ा होनी चाहिये निर्वासन से कहीं ज़्यादा।

Hem Pant said...

नरेन्द्र नेगी जी के "नौछमी नरैन" गाने पर कांग्रेस के कई वरिष्ट नेताओं ने खुली आपत्ति जाहिर की थी और इसे गाने के दण्डस्वरूप नेगी जी जैसे गायक को राज्य सरकार द्वारा वित्तपोषित सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेने से रोका गया.

यह गाना नेताओं की उसी प्रतिक्रिया को दर्शा रहा है... कि नेगी भाई प्लीज यह गाना मत गाओ, हमें दिक्कत होती है...

सही समय पर उचित गाना पेश करने के लिये "कबाड़खाना" की टीम का शुक्रिया..

नरेन्द्र नेगी के कई अन्य मशहूर गानों का आप यहां पर आनन्द ले सकते हैं..
http://apnauttarakhand.com/tag/narendra-singh-negi/