Friday, February 26, 2010

सुनकर यह 'नज़ीर' उसने हँसकर कहा यह सच है



पिछले कुछ दिनों से सिरहाने नज़ीर अकबराबादी की ग्रन्थावली विराज रही है। इस महान कवि के साहित्य कोष से आज सुबह - सुबह एक और होली के चुनिन्दा अंश ...

होली की बहार आई फ़रहत की खिलीं कलियाँ।
बाजों की सदाओं से कूचे भरे और गलियाँ।
दिलबर से कहा हमने टुक छोड़िए छलबलियाँ।
अब रंग गुलालों की कुछ कीजिए रंग रलियाँ।
होली में यही धूमें लगती हैं बहुत भलियाँ॥

है सब में मची होली अब तुम भी यह चर्चा लो।
रखवाओ अबीर ऐ जां ! और मैप को भी मंगवाओ।
हम हाथ में लोटा लें तुम हाथ में लुटिया लो।
हम तुमको भिगो डालें तुम हमको भिगो डालो।
होली में यही धूमें लगती हैं बहुत भलियाँ॥

है तर्ज़ जो होली की उस तर्ज़ हँसो बोलो।
जो छेड़ है इश्रत की अब तुम भी वही छेड़ो।
हम डालें गुलाल ऐ जां ! तुम रंग इधर छिड़को।
हम बोलें 'अहा हा हा ' तुम, बोलो ' उहो हो हो '।
होली में यही धूमें लगती हैं बहुत भलियाँ॥

हम छेड़ें तुम्हें हँस के , तुम छेड़ की ठहरा दो।
हम बोसे भी ले लेवें तुम प्यार से बहला दो।
हम छाती से आ लिपटें तुम सीने को दिखला दो।
हम फेंकें गुलाल ऐ जां ! तुम रंग को छलका दो।
होली में यही धूमें लगती हैं बहुत भलियाँ॥

इस वक्त मुहैया है सब ऐशो - तरब की शै।
दफ़ बजते हैं हर जानिब और बीनो रुबाबो की नै।
हो तुममें और हममें होली की जो है कुछ रै।
सुनकर यह 'नज़ीर' उसने हँसकर कहा यह सच है।
होली में यही धूमें लगती हैं बहुत भलियाँ॥
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फ़रहत = खुशी , आनन्द
मैप = शराब
बोसे = चुम्बन
मुहैया = उपलब्ध
ऐशो - तरब = विलास
रै = राय
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( चित्र : रवीन्द्र व्यास की कला कृति , साभार )

4 comments:

Udan Tashtari said...

वाह!! नज़ीर अकबराबादी की यह रचना पढ़वाने का...बहुत आभार!

abcd said...

क्यो ना एक काम करे.....

कि किसी वीरान बगीचे मे कोई गुलमोहर के पेडो के झून्ड के बीचो बीच सफ़ेद पोश चद्दरे,गद्दे और बडे बडे गोल तकिये हो.....

लपक के भान्ग घोटी जाये...

और सन्त्रे,मोसम्बी के रस के साथ पी जाये..

और ये मेह्फ़ील मे सिर्फ़ और सिर्फ़ आप्के सिरहाने रखी नज़ीर अकबराबादी की ग्रन्थावली पडी जाये.....

( किसी को कुछ वाद्य आता हो तो और मजा आ जाये / )

कामता प्रसाद said...

Yeh kitab Urdu me hogi. Please tell publishers detail including Ph.
I also want to purchase modern secuilar-democrate writers books hence detail is expected.

अमिताभ श्रीवास्तव said...

waah maza aa gayaa..
holi ki shubhkamnaye bhi saath me..