(पिछली किस्त से जारी)
काका की सेवा
में गोपाल का जीवन बीत रहा था और वह भीतर ही भीतर उम्मीद करता था कि काका शीघ्र ही
भगवान् के प्यारे हो जायेंगे। हुआ इस का बिल्कुल उलटा। गोपाल के सारे बाल असमय
सफ़ेद हो गए और चार पांच दांत निकालने पडे। ऊपर से उसे बवासीर भी हो गयी। काका का
स्वास्थ्य लगातार बेहतर हो रहा था। उनकी ख़ुराक पहले से ज़्यादा हो गयी थी और कम हो
रहा है कहने को उन्होने सुबह शाम वर्जिश करना शुरू कर दिया था।
सन
१९६० के आसपास की बात है। गोपाल ने काका को खबर दी: "कका,
नेहरू जी आ रहे हैं अल्मोड़ा! तुम चलोगे देखने?"
"कौन?
अपना जवाहर? क्या कर रहा होगा आजकल यार वो?
लड़का था तो होशियार।"
गोपाल
को एक बार काका का मजाक बनाने की इच्छा हुई लेकिन वह रूक गया। गुरू आखिरकार गुरू
होने वाला हुआ।
"कल
सुबह आ रहे हैं नेहरू जी। प्रधानमंत्री हैं हमारे देश के कका! तुम समझ क्या रहे
हो!"
"अरे
होने दो साले को प्रधानमंत्री फ़धानमंत्री यार। इतना सा देखा ठहरा मैंने। दोस्त
हुआ मेरा। चलेंगे चलेंगे।"
अगली
सुबह अल्मोड़ा जी आई सी के मैदान पर करीब ५००० लोग जमा थे। अल्मोड़ा में पहली बार
हैलिकोप्टर आया था। काका और गोपाल बहुत पीछे खडे थे। नेहरू जी जैसे ही बाहर निकले
उन्होने पीछे खडे काका को देखा और चिल्ला कर कहा "अबे बदरुवा ... अभी तक मरा
नहीं तू ..."
उसके
बाद तो सारा प्रोटोकोल एक तरफ और नेहरू-काका का प्यार एक तरफ। नेहरू के विशेष
आग्रह पर पितुवा 'तामलेट' ने अपने खोखे में दोनों
के लिए चांप भात पकाया। चांप बकायदे जैनोली पिलखोली से मंगाई गई। बाद के कई सालों
तक ये अफवाह उड़ती रही कि थान सिंह के वहाँ से दोनों के लिए कैम्पा कोला और रम
लेकर खुद गोपाल गया था। और यह भी कि दो पुराने दोस्त पता नहीं कौन सी भाषा में
हुर्रफुर्र कर रहे थे। बदरी काका के बहुभाषाविद होने पर कई बुजुर्गों ने मोहर लगाई
और बताया कि उनके परदादे तक तिब्बती सरकार से मिलने वाली सरकारी चिट्ठियों के जवाब
बदरी काका से लिखाया करते थे.
नेहरू
जी के अल्मोड़ा आगमन के बाद गोपाल के लिए बदरी काका भगवान् से भी बड़े हो गए। खुद
गोपाल की साख सारे शहर में बहुत फैली। बड़े बूढ़े कभी मौज में आ कर उस से पूछते :
"यार गोपुआ, पीताम्बर के हाथ की पकी चांप खा के पाद नहीं आयी
तेरे नेहरूजी को। शाम को रानीधारे जाएगा तो बदरी काका को ये लिंगुडे दे आना। अच्छी
लगती है उनको इसकी सब्जी । चवन्नी का दही ले जाना साथ में। सब्जी में डाल के
खायेगा तो मजा आ जाएगा बुड्ढे को."
(... जारी है)
3 comments:
मस्त.इस बातों के ब्यालू में कुमाउनी ठसके से जोशी जी भी याद आ गए.
udati chidia ko haldi lagane wali gapp. ek apan bhi plan kar rahe hain.
ab Badri kaka poori tarh Ashok Pande ho gaye hain
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