Saturday, April 17, 2010

उमरां लग्गियां



कल आपने उस्ताद हामिद अली ख़ां साहेब से सुनी थी मुस्तफ़ा ज़ैदी की ग़ज़ल. आज प्रस्तुत है उन्हीं के बड़े भाई उस्ताद अमानत अली ख़ां साहेब के फ़रज़न्द असद अमानत अली ख़ां से एक पंजाबी कम्पोज़ीशन. यहां बताना अप्रासंगिक नहीं होगा कि उस्ताद अमानत अली ख़ां साहेब के असमय देहावसान के बाद हामिद अली खां और असद अमानत अली ख़ां ने जुगलबन्दी भी काफ़ी की है और कई सारी रचनाएं रेकॉर्ड की हैं.

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