Saturday, September 11, 2010

यानी है मांझा खूब मंझा उनकी डोर का - 3

(पिछली किस्त से जारी)


मांझा बनाए जाने का अगला चरण.

दूसरी तस्वीर में बच्चा अपनी उंगलियों की हिफ़ाज़त के वास्ते उन पर सद्दी लपेट रहा है. देखिये कुछ शानदार छवियां रोहित के कैमरे से













(जारी)

7 comments:

आपका अख्तर खान अकेला said...

भाई जान मांझा बनाने का तरीका तो खूब सिखा रहे हो भाई मकर सक्रांति कोटा में जब आएगी तब हम भी आपकी इस सीख का फायदा उठाकर पतंगबाजों के छक्के उड़ा देंगे. अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान .

लोकेन्द्र सिंह said...

इन चित्रों ने बहुत कुछ कहा...... शानदार फोटो।

डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति said...

bachhe kitni jaan se kagey hai.......kaanch pees kar gond milaa kar bhi in sooto pe lapeta hogaa........ kitni patangey udaayenge aur kitno ki patange kaat kar chakke chudaayenge..........Tasweer bahut khoob...

डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति said...
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डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति said...
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डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति said...
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अजेय said...

निश्चय ही उड्ना भूल गए होंगे कुछ पतंग
अरसे से उन्होंने
देखा न होगा आकाश !
****************
गाड दिए गए होंगे उन के पैर कड़ी धरती में
या बाँध दिए गए ज़ंज़ीरों से
कचहरी की बाहर बेंच -मेज़ों की तरह...