(पिछली किस्त से जारी)
उनकी आवाज़ को याद करते हुए मुझे छुई जा सकने वाली धरती और हरी घास पर बैठने की इच्छा हुई. मैंने वही किया.
अरबी भाषा में अल रबवेह का अर्थ होता है: "हरी घास वाली एक पहाड़ी". उनके शब्द वहीं लौट गसे हैं जहां से वे आए थे. और इसके अलावा कुछ नहीं है. एक शून्य बचा है जिसे पचास लाख लोग साझा करते हैं.
पांच सौ मीटर दूर अगली पहाड़ी पर एक शरणार्थी शिविर है. कौवे उस पर चक्कर काट रहे हैं. कुछ बच्चे कूड़ा बीन रहे हैं.
जब मैं घास पर, उनकी ताजा खुदी हुई कब्र के किनारे बैठा तो कुछ अनपेक्षित घटा. उसके बारे में बताने के लिए मुझे एक और घटना का ज़िक्र करना पड़ेगा.
***
यह कुछ दिन पहले की बात है. मेरा बेटा ईव्स गाड़ी चला रहा था और हम फ़्रैंच आल्प्स के एक स्थानीय क़स्बे क्लूसेस की तरफ़ जा रहे थे. बर्फ़ पड़ रही थी. पहाड़ियां, खेत और पेड़ सफ़ेद हो चुके थे और पहली बर्फ़बारी की सफ़ेदी अक्सर चिड़ियों के स्थान और दिशा बोध को गड़बड़ा देती है.
अचानक एक चिड़िया विन्डस्क्रीन से टकराई. रिरय-व्यू मिरर में ईव्स ने उसे सड़क किनारे गिरते देखा. उसने ब्रेक लगाकर गाड़ी पीछे की. वह एक नन्हीं चिड़िया थी - एक रोबिन. अचम्भित लेकिन अब भी जीवित. झपकती हुई आंखें. मैंने उसे बर्फ़ से उठाया. वह मेरे हाथ में गर्म महसूस हो रही थी, काफ़ी गर्म. और हम आगे चल पड़े.
(जारी)
4 comments:
bhai amitabhji bahut sundar aur samvedana se bharpoor tasveeren hain
@ जयकृष्ण राय तुषार : कौन सी तस्वीरें जयकृष्ण जी? शायद कोई ग़लती हो गई. कहीं का कमेन्ट कहीं लग गया होगा.
पिछली पोस्ट में रस्किन की संजीदा कहानी kitemaker याद आ गयी थी .नवाबो का मनोरंजक खेल था कभी पतंगबाजी.."हरी घास वाली एक पहाड़ी" नाम ही बड़ा अच्छा लगा..वैसे रस्किन की mostly कहानियों में भूरी घास की पहाड़ियां है...इस सफ़र में रोबिन का बच जाना सुखद रहा..
Robin bach gayaa kyaa?
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