काफ़ी दिनों बाद कबाड़ख़ाने में एक नए कबाड़ी की एन्ट्री हुई है. इन्दौर में रहने वाले संजय पटेल को हिन्दी ब्लॉग जगत एक बेहद संवेदनशील, संगीत के बारे में अथाह जानकारी रखने वाले सचेत व्यक्ति के रूप में जानता है. जोगलिखी संजय पटेल की नामक उनका ब्लॉग काफ़ी लोकप्रिय और चर्चित है.
मैं जानता हूं कबाड़ख़ाने में इस संगीत-मर्मज्ञ के आने से और भी नए और अनूठे आयाम जुड़ेंगे. क़रीब दस माह पहले शुरू किए गए और रचनात्मक कबाड़ के उत्खनन और संग्रहण के उद्देश्य से बनाए गए इस ब्लॉग पर आने वाले संजय पटेल तीसवें कबाड़ी हैं.
इस पोस्ट के माध्यम से कबाड़ख़ाना उनका इस्तकबाल करता है और उनके सम्मान में शुन्तारो तानीकावा की यह कविता प्रस्तुत करता है
पीली चिड़ियों वाला लैंडस्केप
चिड़ियां हैं
इसलिए आसमान है
आसमान है
इसलिए ग़ुब्बारे हैं
ग़ुब्बारे हैं
इसलिए बच्चे दौड़ रहे हैं
बच्चे दौड़ रहे हैं
इसलिए हंसी है
हंसी है
इसलिए उदासी है
उदासी है
इसलिए प्रार्थना है
और झुकने के लिए धरती
धरती है
इसलिए पानी बहता है
और आज है और आने वाला कल
एक पीली चिड़िया है
इसलिए सारे रंगों, आकृतियों और गतियों के साथ
संसार है.
23 comments:
भाई संजय पटेल का हम सब कबाड़ी स्वागत करते हैं !
पूरा यक़ीन है कि उनके आने बहुत कुछ जुड़ेगा।
और हां !
कविता भी शानदार है तानीकावा की।
बहुत अच्छी खबर
कबाड़खाने में संजय जी का बहुत बहुत स्वागत है.
लो संजय पटेल भी अब कबाड़ी हो लिये, स्वागत है कबाड़खाने में
बहुत बढिया,
संजय भाई का कबाडखाने में स्वागत है ।
संजय जी का स्वागत। कविता बहुत सत्य और सटीक है।
संजय जी के स्वागत में एक फूल मैं भी समर्पित करता हूँ। ...सुस्वागतम्।
खुशआमदीद!
सजंय भाई!
BOTAL-SHOTAL ? WELCOME BHAI JI AAO!
बहुत स्वागत.
स्वागत है संजय भाई का।
ईमान से, शुन्तारो तानीकावा का नाम कभी नहीं सुना, (क्योंकि सुनने-सुनाने वालों की दुनिया से भी दूर हूं) लेकिन यह कविता तो बहुत सुदर थी, दिल को छू गई। अप इनकी और कविताओं की तलाश शुरू करनी होगी।
यह सुदर कविता पढ़वाने का शुक्रिया
संजय जी आपके ब्लाग से जुड़े इसके लिए कबाड़खाना और संजय जी को बधाई.
भविष्य में और अच्छी ब्लॉग्गिंग के लिये शुभकामनाएं.
कविता बहुत ही शानदार और उम्दा है.
सुस्वागतम....कबाड़खाने की शोभा बढ़ने के लिए...
नीरज
संजय पटेल जी यहाँ रहें, मस्त रहें और हमेशा की तरह संगीत-सरिता प्रवाहित करते रहें. उन्हें बधाई और शुभकामनाएं!
उनके लिए एक शेर प्रस्तुत है-
'जहाँ रहेगा वहीं रोशनी लुटायेगा
किसी चराग़ का अपना मकाँ नहीं होता'.
ashokda...finally maine bhi gmail acnt khol liya..comments karne ke liye...pathak..chandigarh
स्वागत है संजय भाई का ।
अच्छे लोग जहां जाते हैं अच्छाइंया ही फैलाते हैं, संजय भाई के यहां आने से और अच्छी चीजें दिखेंगी यहां, ऐसा विश्वास है।
संजय जी आपके ब्लाग से जुड़े इसके लिए कबाड़खाना और संजय जी को बधाई.
संजय जी आपके ब्लाग से जुड़े इसके लिए कबाड़खाना और संजय जी को बधाई.
संजय जी के आने से कबाड़ख़ाना और सुरीला हो जाएगा. आपको बधाइयां.
स्वागत संजय भाई का - मनीष
संजय जी का स्वागत है।
संजय जी का स्वागत है।
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