अमेरिकी कवि जेराल्ड स्टर्न(जन्म - १९२५) की कविता 'व्हैन आई हैव रीच्ड द पौइंट ऑफ सफोकेशन' से एक टुकड़ा आप लोगों के वास्ते:
सालों लग जाते हैं यह शऊर पाने में
कि सुन्दर चीज़ों के तबाह हो चुके होने को कैसे देखा जाए
यह सीखने में कि
उस जगह को कैसे छोड़ दिया जाना चाहिए
जहाँ आप पर ज़ुल्म हो रहे हों लगातार
और यह जान सकने में
कि निपट ख़ालीपन
के बीच से कैसे निर्मित किया जा सकता है
अपना पुनर्जीवन.
5 comments:
शानदार!
क्या बात है !
bahut khoobsoorat
अकेलेपन में जी लेना ही मानक है।
बहुत अच्छा लगा आपके ब्लॉग पर आकर
कभी समय मिले तो हमारे ब्लॉग//shiva12877.blogspot.com पर भी अपनी एक दृष्टी डालें .... धन्यवाद
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