Thursday, March 24, 2011
मयाड् घाटी -- 13
पहला गाँव
शकोली मयाड़ घाटी का पहला गाँव है. कुल सात घरों का यह गाँव दयार के जंगल के बीच बसा है. सातों घर ठाकुरों के हैं. ये स्वाङ्ला परिवार हैं. मुझे बताया गया कि मयाड़ में चाण जाति के लोग नहीं हैं. हाँ , एक जगह लोहारों के चार घर हैं. यहाँ सभी बोद नही हैं. करपट गाँव तक स्वाङ्ला लोग अधिक संख्या में बसे हुए हैं. इन की रिश्तेदारी भी पटन और मयाड़ घाटी के स्वङ्ला समुदाय मे है. आपस में ये पटनी भाषा मे बात करते हैं. लेकिन मयाड़ के बोद समुदाय के लोगों के साथ ये त्रुटिहीन मयाड़ी भाषा बोल लेते हैं जो कि भोट भाषा के निकट है.
ये लोग अपनी भाषा मे बतियाए हैं , हमे चाय नाश्ते का निमंत्रण भी मिला है. मेरी बड़ी इच्छा है कि किसी घर में जा कर एक कप कड़क चाय पिऊँ, इन का रहन सहन देखूँ. लेकिन सहगल जी मना कर देते हैं . उन का विचार है कि यदि भीतर गए तो औपचारिकताओं मे समय बरबाद हो जाएगा और हमें देरी हो जाएगी.
हम ने यहाँ नल से पानी पी कर अरक (दारू) की बोतल ली है. एक खाली बोतल मांग कर उस मे पानी मिलाया है. इन्होंने पैसे नहीं लिए. हाँ, वापसी पर खाली बोतल ज़रूर लौटा जाने को कहा है . ढक्कन वाली बोतल की यहाँ बड़ी वेल्यू है. पहले मिट्टी के बतिक (छोटी सुराही) में दारू रखा जाता था. अब बोतलों का ही प्रयोग होता है. यहाँ से सहगल जी ने मेंतोसा के दर्शन कराए हैं . जिस रोमाँच के साथ पर्यटक इस का नाम लेते थे, उतना चित्ताकर्षक नही है यह. बाद मे उस स्थानीय व्यक्ति ने पुष्ट किया कि मेंतोसा का सर्वोच्च शिखर तो ओगोलुङ नाले के पश्चिम में बहुत भीतर जा कर ही दिखता है. यह उस की कोई शाखा है.
(जारी)
Labels:
अजेय
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
3 comments:
अहा, जब पढ़ने में इतना आनन्द आ रहा है, तब घूमने में तो बहुत ही होगा।
सुन्दर जानकारी !
सुन्दर जानकारी !
Post a Comment