Monday, May 9, 2011

मुझे अब भी झूठे बनाने होंगे इस विराट घोषणा के शब्द

राफ़ाल वोयात्चेक की एक और कविता -


कवि बोलता है खासी विडम्बना के साथ

मैं दिल से बात करता हूं, लेकिन तुम्हारे हाथ में
धर देता हूं एक अलग शब्द जैसे कोई उरोज
या नितम्ब, ताकि तुम पवित्रतापूर्वक
उसे ला सको अपनी वासना की लय में.

मैं लोगों से बात करता हूं, लेकिन मुख्य-पादरी
तक मैं लेकर जाता हूं एक खास स्त्री की
निषिद्ध आवाज़, जिसने उस जगह को तरतीब दी है
जहां वह मिलेगा उस से.

मैं अभी से कितना नज़दीक हूं दैवीय इलाकों के
क्योंकि मुझ से होकर बोलता है
वह विस्तार जिसका नाम ईश्वर है.

लेकिन सच तो यह है कि मृत्यु द्वारा
पसन्द किए जाने के लिए, मुझे अब भी झूठे बनाने होंगे
इस विराट घोषणा के शब्द.

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