Sunday, March 4, 2012

उपन्‍यास में पहले एक कविता रहती थी



उपन्‍यास में पहले एक कविता रहती थी

विनोद कुमार शुक्ल

अनगिन से निकलकर एक तारा था.
एक तारा अनगिन से बाहर कैसे निकला था?
अनगिन से अलग होकर
अकेला एक
पहला था कुछ देर.
हवा का झोंका जो आया था
वह भी था अनगिन हवा के झोंकों का
पहला झोंका कुछ देर.
अनगिन से निकलकर एक लहर भी
पहली, बस कुछ पल.
अनगिन का अकेला
अनगिन अकेले अनगिन.
अनगिन से अकेली एक-
संगिनी जीवन भर.

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