Tuesday, November 27, 2012

संवेदना को मार रही है अपनी भाषा में अत्याचार की आवाज़


अनुवाद की भाषा

- असद ज़ैदी

अनुवाद की भाषा से अच्छी क्या भाषा हो सकती है 
वही है एक सफ़ेद परदा 
जिस पर मैल की तरह दिखती है हम सबकी कारगुजारी 

सारे अपराध मातृभाषाओं में किए जाते हैं 
जिनमें हरदम होता रहता है मासूमियत का विमर्श 

ऐसे दौर आते हैं जब अनुवाद में ही कुछ बचा रह जाता है 
संवेदना को मार रही है 
अपनी भाषा में अत्याचार की आवाज़!

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