Monday, January 7, 2013

वो जिनके होते हैं खुर्शीद आस्तीनों में



खान साहेब मेहदी हसन की ग़ज़ल लगाने का मन हुआ -

चिराग--तूर जलाओ, बड़ा अन्धेरा है
ज़रा नकाब उठाओ, बड़ा अन्धेरा है

मुझे खुद अपनी निगाहों पे ऐतमाद नहीं
मेरे करीब न आओ , बड़ा अन्धेरा है

वो जिनके होते हैं खुर्शीद आस्तीनों में
उन्हें कहीं से बुलाओ, बड़ा अन्धेरा है

1 comment:

अनूप शुक्ल said...

सुबह-सुबह इसे सुनना अच्छा लगा।