भाषाओं के लिए एक गीत
-अदूनिस
ये तमाम भाषाएँ, ये टुकड़े,
आने वाले शहरों के लिए
खमीर जैसे हैं.
संज्ञा, क्रिया, अक्षर – इन सब की संरचना को बदलो,
कहो :
हमारे दरम्यान कोई पर्दा नहीं,
बाँध नहीं.
और प्रफुल्लित बनाओ अपने दिलों को फ़ातिहों से
इच्छा के छंदों से
और उनके भीतर मोहरबंद जन्नतों के भावातिरेक से.
1 comment:
no doubt that language is just a "trolley"
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